एक राष्ट्र-एक कर की सोच के साथ आए जीएसटी ने कर प्रणाली में कई बदलाव किए हैं, मनोरंजन कर समाप्त हो गया। इसके विपरीत पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाकर इसकी कीमतों में कमी लाने की मांग पूरी नहीं हो रही, तो कर चोरी करने वालों ने नए तरीके इजाद कर लिए हैं।
भ्रष्टाचार के द्वार बंद नहीं हुए
जीएसटी से कर प्रणाली को मजबूत करने का इरादा जाहिर किया गया था, लेकिन फिजूल के नोटिस जारी होने से कारोबारी अब भी ले-देकर मामला रफा-दफा करवाने को मजबूर है। यह भी पढ़ें
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आइटीसी को लेकर भी घपला
आइटीसी का लाभ पाने के लिए दूसरे राज्यों के बिल इस्तेमाल हो रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार इसमें महालेखाकार (एजी) कार्यालय का सहयोग नहीं ले रही एजी ऑफिस का साथ लेकर देश में चल रही बोगस फर्मों को पकड़ा जा सकता है। ई-वे बिल से भी नुकसान ई-वे बिल के माध्यम से भी कर चोरी हो रही है। एक ई-वे बिल से एक ही ट्रक तीन-तीन चक्कर लगाकर माल पहुंचा रहा है।कर चोरी रुके तो और भरे सरकार का खजाना
सूत्रों की मानें तो गुटखा, टिम्बर और ड्राई फ्रूट कारोबार में कर चोरी अब भी सबसे अधिक हो रही है, इसी तरह कपड़ा व्यापारी और ऑटोमोबाइल मैकेनिक व पार्ट विक्रेता भी बिल नहीं देकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं।इनको भी लाएं जीएसटी के दायरे में
-पेट्रोल-डीजल को दायरे में लाकर पूरे देश में एक कीमत लाई जा सकती है। इससे इनकी महंगाई पर भी काबू पया जा सकता है।– वाहन पंजीयन की दर देश में एकसमान होने पर लोग बाहर से वाहन नहीं खरीदेंगे। इससे भी प्रदेश का राजस्व बढ़ेगा।