रोहिताश्व शर्मा पर कार्रवाई के बाद भाजपा में फिलहाल अनर्गल बयानबाजी का दौर रुक गया है। मगर संगठन के प्रति समर्पित नेता और कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं कि जो लोग पहले बयानबाजी कर रहे थे। आखिर उन्हें क्यों छोड़ा गया है ? संगठन ने उन नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं की ?
इस मसले पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां का पिछले दिनों हुआ दिल्ली दौरा भी अहम माना जा रहा है। इस दौरे के बाद ही रोहिताश्व शर्मा पर कार्रवाई हुई। हालांकि इस दौरे के बाद खुद प्रदेशाध्यक्ष भी चुप नजर आ रहे हैं। दिल्ली दौरे के बाद पूनियां की मीडिया से दूरी भी चर्चा का विषय बनी हुई है। सूत्रों की मानें तो संगठन ने उन्हें भी अनर्गल बयानबाजी करने वाले नेताओं के काउंटर में किसी भी तरह के बयान से बचने की सलाह दी है। यही वजह है कि अब पूनियां बयानबाजी करने से दूर हैं। यही वजह है कि गोविंद सिंह डोटासरा के रिश्तेदारों का आरएएस चयन मामले में भी नेता प्रतिपक्ष और पेगेसस मामले में उपनेता प्रतिपक्ष ने प्रेस वार्ता का संगठन की तरफ से बात रखी।
मगर गुटबाजी अब भी हो रही हावी दिल्ली दौरे के बाद पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी दूर होने की चर्चा थी। मगर यह बरकरार है। प्रभारी सी.टी. रवि के जयपुर दौरे में वसुंधरा राजे गुट के नेताओं ने रवि से अलग से मुलाकात कर अपनी भावना को प्रकट किया। उन्होंने रवि के समक्ष साफ किया कि उनकी संगठन में सुनवाई नहीं हो रही है। लगातार उन्हें इग्ननोर किया जा रहा है।
रवि का दौरा भी चर्चा में प्रभारी अरुण सिंह के दौरे के एक महीने के भीतर ही सी.टी. रवि का दौरा होना चर्चा में है। यह तो साफ है कि पार्टी ने उन्हें सोची—समझी रणनीति के तहत यहां भेजा था। एक बात यह भी सामने आ रही है कि अरुण सिंह की ओर से जो फीडबैक दिया गया था। उसकी सच्चाई जानने के लिए ही रवि राजस्थान आए थे।