– राजस्थान में 7580 मेगावाट क्षमता के थर्मल पावर प्लांट हैं, लेकिन हर दिन औसतन 5 हजार मेगावाट (65 प्रतिशत) ही बिजली का उत्पादन हो रहा है। जबकि, 6200 मेगावाट से ज्यादा बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
– राज्य विद्युत उत्पादन निगम तय क्षमता तक नियमित बिजली उत्पादन नहीं कर पा रहा है। अतिरिक्त कोयला मिलेगा तो बिजली उत्पादन बढ़ाना ही होगा।
– निर्धारित क्षमता से कम बिजली उत्पादन का असर यह है कि बिजली कंपनियों को महंगी बिजली खरीदने और चहेती निजी उत्पादन कंपनियों को उपकृत करने का मौका मिल रहा है।
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