सलमान खान की ऑन स्क्रीन मां पाली जिले के सुमेरपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ती रही हैं। सलमान खान जैसे सुपर स्टार की ऑन स्क्रीन मां, 2013 में पाली के सुमेरपुर में बीजेपी के मदन राठौड़ से 42 हजार 643 वोटों से पराजित हो चुकी हैं।
पिछला चुनाव हारने के बाद अब सीट बदलने की तैयारी में है। स्वास्थ्य कारण और विधानसभा क्षेत्र से ज्यादा दूरी की वजह से अब जयपुर की आदर्श नगर विधानसभा सीट पर उनकी नजरें टिकी हैं। हम बात कर रहे हैं कि सलमान खान की फिल्मों में उन्हें जमकर तमाचे मारने वाली अभिनेत्री और नेत्री बीना काक की।
बीना काक न सिर्फ राजस्थान की राजनीति में सक्रिय रही हैं बल्कि नन्हें जैसलमेर,गॉड तुसी ग्रेट हो,दूल्हा मिल गया,जानिंसार,मैंने प्यार क्यूं किया जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। सलमान खान से ऑन स्क्रीन ही नहीं बल्कि ऑफ स्क्रीन पारिवारिक रिश्ते रहे हैं। उनकी बेटी अमृता काक की शादी में न सिर्फ सलमान खान बल्कि केटरीना कैफ भी घाराती बन कर कई दिन जयपुर में रहे थे।
हालांकि जयपुर की राजनीति में टिकट मांगने के पीछे उनका फिल्मी बैकग्राउंड या सलमान से करीबी होना कोई कारण नहीं है। कांग्रेस के लिए जयपुर की आदर्श नगर विधानसभा सीट हमेशा से परेशानी का सबब रही है। 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कद्दावर अल्पसंख्यक नेता माहिर आजाद चुनावी मैदान में उतरे। इसी सीट पर उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के सिपाहेसालार अशोक परनामी चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2013 के बाद माहिर आजाद के निधन से विधानसभा सीट पर कांग्रेस के लिहाज से रिक्तता आ गई।
2018 के चुनाव में कांग्रेस के सामने समस्या ये है कि आदर्श नगर से किसे उम्मीदवार बनाया जाए। पंजाबी-सिंधी और मुस्लिम बहुल इस सीट पर कांग्रेस के कई दावेदार हैं लेकिन जीत दिलाने वाले चेहरे की तलाश है। जयपुर की दो सीटें जिनमें किशनपोल और आदर्श नगर सीट पर मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। यहां के लोग कहते हैं कि पिछले चुनावों में ध्रूवीकरण हुआ और परिणाम बीजेपी के खाते में गया। लिहाजा,कांग्रेस इस बार फूंक-फूंक कर अपने कदम रख रही है।
कांग्रेस जिन विकल्पों पर गौर कर रही हैं उनमें राजीव अरोड़ा भी हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी हैं और विधानसभा में सक्रियता रखते हुए अघोषित उम्मीदवार बने हुए हैं। इन दो नामों के अलावा पूर्व मंत्री एमामुद्दीन अहमद उर्फ दुर्रू मियां का नाम शामिल है। आदर्श नगर में पहले पूर्व पार्षद बाबा रियाजुद्दीन का नाम भी चलता था। मगर एमामुद्दीन अहमद खुद चाहते हैं कि इस बार भी वो अलवर क्षेत्र में तिजारा विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ें।
अब तक पार्टी के भीतर ही बीना काक ने अब तक अपनी बात रखी लेकिन नवरात्रि डांडिया आयोजनों में वो खुलकर जनता के सामने आई और दावेदारी ठोक दी है। वैसे कांग्रेस कल्चर है कि सब कुछ दिल्ली में कांग्रेस स्क्रिनिंग कमेटी की बैठक के बाद केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में तय होना है। उम्मीदवारों के नाम से पहले कांग्रेस को ये तय करना है कि इस सीट पर मुस्लिम चाहिए या कोई ओर।
वैसे चुनावों के मद्देनजर जयपुर की राजनीति में इस बार अलग सोशल इंजिनियरिंग सामने आने वाली है। कांग्रेस की स्क्रिनिंग कमेटी की बैठकें चल रही हैं और उधर बीजेपी भी रणकपुर में रायशुमारी के जरिए उम्मीदवारों के चयन की बात कह रही है। कांग्रेस के खेमे से दो पूर्व केबिनेट मंत्रियों की नजर जयपुर की राजनीति पर हैं। इसके अलावा पूर्व महापौर और एक पूर्व सांसद भी चुनावी मैदान में कूदने को तैयार हैं। टिकट की होड का खामियाजा भी प्रदेश के पूर्व मंत्री को उठाना पड़ सकता है।
ये उथल-पुथल जयपुर में अजमाई जा रही सोशल इंजिनियरिंग की वजह से है। जो दावेदार कद्दावर हैं और जातिय समीकरणों में फिट नहीं हो पा रहे, उन्हें सरकार आने के बाद महत्वपूर्ण ओहदे का लॉलीपोप देकर शांत किया जाएगा क्योंकि भले ही वो चुनाव न लड़ें। लेकिन अपने क्षेत्र में असर रखते हैं और उन्हें कांग्रेस किसी कीमत पर नहीं खोना चाहेगी।
बीजेपी भी जयपुर को लेकर खासी सक्रिय है। यहां आदर्श नगर सीट पर अशोक परनामी का नाम लगभग तय है लेकिन मालवीय नगर और सांगानेर में प्रदेश भाजपा का शीर्ष नेतृत्व आने की चर्चाओं ने माहौल सरगर्म कर रखा है।
अभी किसी भी पार्टी ने अधिकारिक रूप से अपने नामों का ऐलान नहीं किया है। लेकिन रोज बदले सियासी समीकरण और दावेदारों की गणित बता रही है कि इस बार एक-एक सीट पर जातिगत और राजनीति के समीकरण बारीकी से देखे जा रहे हैं। दोनों ही पार्टी के उम्मीदवारों के साथ सलमान खान की ऑन स्क्रीन मां को टिकट देने या न देने का फैसला भी दशहरे के बाद ही सामने आ पाएगा।