हर माह ढाई हजार से तीन हजार रुपए तो पानी के टैंकर में खर्च हो रहे हैं। सांगानेर विधानसभा क्षेत्र की 400 से अधिक कॉलोनियों में सीवर लाइन और ड्रेनेज सिस्टम की जरूरत है। मालपुरा गेट और सांगानेर मुख्य बाजार में जाम रहता है। सांगानेर रेलवे स्टेशन के पास के रहवासी रामकरण छीपा कहते हैं कि सैटेलाइट हॉस्पिटल की घोषणा तीन साल पहले हुई, लेकिन पूरी नहीं हुई। दो कॉलेजों की घोषणा दो साल बाद भी धरातल पर नहीं आई है। सिटी पार्क की सौगात मिली है। अंग्रेजी माध्यम स्कूल हैं, लेकिन संसाधनों का अभाव है। बगरू विधानसभा क्षेत्र भी शहर से सटा है, पर विकास की गति नहीं पकड़ पाया है। जयपुर ग्रेटर नगर निगम के वार्ड नंबर 104 से वार्ड नंबर 124 तक आते हैं। दो नगर पालिकाएं हैं। बगरू नगर पालिका और हाल ही में वाटिका नई नगर पालिका बनी है।
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यहां के निवासी मुकेश बागड़ा कहते हैं कि अभी धरातल पर विकास कार्य शुरू नहीं हुए हैं। वाटिका पालिका सिर्फ कागजों में है। क्षेत्र में 31 ग्राम पंचायतें हैं। यहां भी कई समस्याएं हैं। गोनेर के गोरधन सिंह कहते है कि उपचार के क्षेत्र में सरकार ने अच्छा काम किया है। बीसलपुर का पानी भी पहुंचा है। प्रताप नगर में कोचिंग हब बन चुका है। उधर, बस्सी ईंट भट्टे व कई कारखाने हैं। यहां प्लाईवुड का बड़ा कारोबार है। बस्सी में ग्यारसी से बात की तो उन्होंने कहा, नई पीढ़ी खेती नहीं करना चाहती है। बस्सी शहर दो वर्ष पहले ही नगरपालिका बना है। अभी बोर्ड का गठन नहीं होने से यहां की जिम्मेदारी अधिकारियों के पास ही है। इसी विधानसभा इलाके में होकर आगरा-बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग गुुजर रहा है। दिल्ली-जयपुर-मुम्बई-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक भी गुजर रहा है। एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होने की यहां के वाशिंदों को शिकायत है। बस्सी में टमाटर मंडी व सीमन बैंक भी है। बस्सी से खातीपुरा होकर 200 फीट सड़क को स्वीकृति मिलने से जयपुर से दूरी कम हो जाएगी। चाकसू-फागी मार्ग पर पहुंचे तो उसे दुर्दशा का शिकार पाया।
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चाकसू के हीरा कहते हैं कि ग्रामीण ओलंम्पिक हुआ, पर हमारे यहां तो कोई स्टेडियम नहीं है। कोटखावदा और माधोराजपुरा को पंचायत समिति का दर्जा मिला है। माधोराजपुरा चौकी भी पुलिस थाने में क्रमोन्नत हुई है। चाकसू और कोटखावदा में कॉलेज खुले हैं। कॉलेज खुलने की बात पर विजय शर्मा कहते है कि डिग्री लेकर करेंगे क्या जब रोजगाार ही नहीं है।