चुनावी मोड में आई गहलोत सरकार इन दिनों प्रदेश की जनता को दिल खोलकर राहतें और सौगातें दे रही है। इन राहतों-सौगातों के ज़रिए हर वर्ग को साधने की कोशिशें युद्धस्तर पर जारी हैं। इसी क्रम में सरकार अब पशुपालकों को बड़ी राहत देने की दिशा में लम्पी रोग से ग्रसित गोवंश के पालकों को बड़ी राहत देने जा रही है।
सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से 16 जून को जयपुर में राज्य स्तरीय लम्पी रोग आर्थिक सहयता वितरण कार्यक्रम रखा गया है। इस कार्यक्रम के ज़रिये 15 नए ज़िलों सहित कुल 47 ज़िलों के लाभार्थियों के खाते में सरकार की ओर से कुल 176 करोड़ रूपए की आर्थिक सहायता राशि जमा करवाई जाएगी।
– लाभार्थियों के खाते में पहुंचेंगे 176 करोड़
पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव विकास सीताराम भाले ने बताया कि 16 जून को आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय लम्पी आर्थिक सहायता वितरण राशि कार्यक्रम के दौरान 42 हजार पात्र पशुपालकों के खातों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा 176 करोड़ रूपए की सहायता राशि सीधे पशुपालकों के खातों में हस्तांतरित की जाएगी। इससे राज्य के पशुपालकों में आत्म विश्वास में बढ़ोतरी होगी साथ ही बेहतर पशुपालन एवं पशुधन उत्पाद वृद्धि की दिशा में पशुपालक अग्रसर हो सकेंगे।
भाले ने बताया कि 15 नए ज़िलों सहित कुल 47 ज़िलों में लम्पी रोग आर्थिक सहायता वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिला स्तरीय अन्य विभागों के साथ आवश्यक एवं समुचित समन्वय स्थापित कर सभी पात्र लाभार्थियों तक लाभ पहुंचने की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की।
उन्नत नस्लीय पशु रहेंगे आकर्षण का केंद्र
पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने बताया कि 16 से 18 जून तक जयपुर के जेईसीसी में ‘राजस्थान किसान महोत्सव’ का आयोजन किया जाएगा। इसमें विभिन्न प्रकार के उन्नत नस्लीय पशु आकर्षण का केंद्र रहेंगे। घोड़ी एवं ऊँट का नृत्य, मुर्रा नस्ल का भैंसवंशीय नर शूरवीर एवं राजा, लार्ज व्हाइट यार्कशायर कर, ग्रेजाइंट, सोवियत चिंचिला, व्हाइट जायन्ट, डच एवं ब्लैक ब्राउन नस्ल के खरगोश, दुम्बा, अविशान, चोकला, नाली नस्ल की भेड़, व्हाइट लेगहॉर्न, कड़कनाथ, जापानी क्वेल, सोनाली, असील, टर्की नस्ल के कुक्कुट, साहीवाल, थारपारकर, राठी, गिर नस्लीय गौवंश के साथ जमुनापारी व सोजत नस्ल के बकरे-बकरी सहित अन्य पशु पशुपालकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेंगे। पशु प्रदर्शनी से पशुपालकों को उन्नत नस्लीय पशुपालन करने के लिए प्रेरणा मिलेगी साथ ही पशुपालक जागरूक हो सकेंगे।