राजस्थान इस वजह से रह गया पीछे
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची के ऐलान के बीच राजस्थान चर्चा में है। दरअसल, इस वर्ष पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, जिनमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम राज्य शामिल हैं। एमपी और छत्तीसगढ़ की ही तरह राजस्थान उन बड़े राज्यों में है जहां पार्टी का पूरा फोकस है। यहां सत्ता में लौटने के लिए पार्टी का ‘मिशन राजस्थान’ ज़ोर-शोर से चल रहा है।
दरअसल, माना ये जा रहा है कि राजस्थान की 19 कमजोर सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा भी मप्र-छग की सूचियों के साथ जारी हो जाती, अगर प्रदेश भाजपा की बहुप्रतीक्षित चुनाव प्रचार समिति के संयोजक का नाम तय हो गया होता। संयोजक के नाम पर अंतिम निर्णय न हो पाने के कारण यह सूची अटक गई। हालांकि राजस्थान में भी भाजपा इन सीटों पर जल्द ही फैसला ले सकती है। इसके लिए चुनाव आचार संहिता का भी इंतजार नहीं किया जाएगा।
संघ-भाजपा नेताओं की सहमति जरूरी
भाजपा ने यहां की 200 सीटों को चार श्रेणियों में बांटा है। इनमें 19 सीटें ऐसी हैं, जिन्हें भाजपा ने अति कमजोर श्रेणी में माना है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन 19 अति कमजोर सीटों पर कभी भी उम्मीदवार घोषित किए जा सकते हैं। भाजपा ने कुछ समय पहले विधानसभा सीटों को ए, बी, सी और डी श्रेणी में बांटा था। डी श्रेणी में उन 19 सीटों को रखा गया था, जो सबसे कमजोर सीटें थी।
सूत्रों के अनुसार चुनाव प्रचार समिति का संयोजक तय होने में पार्टी को कुछ अड़चन आ रही हैं। किसी एक नाम पर संघ और भाजपा के बड़े नेताओं के बीच सहमति होने के बाद ही नामों के साथ समिति की घोषणा होगी। इसके अलावा प्रदेश चुनाव समिति की भी घोषणा होनी है। कमजोर सीटों पर भाजपा कुछ सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है।
भाजपा के लिए ये हैं अति कमज़ोर सीटें
नवलगढ़, खेतड़ी, झुंझुनू, फतेहपुर-लक्ष्मणगढ़, दातारामगढ़, कोटपुतली, बस्सी, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, बाड़ी, टोडाभीम, सपोटरा, सिकराय, लालसोट, सरदारपुरा, बाड़मेर, सांचौर, वल्लभनगर और बागीदौरा