बोरवेल में गिरने से आर्यन की मृत्यु का मामला
पहला मामला
दौसा जिले के कालीखाड़ गांव का है। गत दिनों 150 फीट गहरे बोरवेल में गिरने और 56 घंटे तक फंसे रहने के बाद पांच वर्षीय बालक
आर्यन की मृत्यु हो गई। कहा जा रहा है कि बच्चा खेत में खेलते समय बोरवेल में गिर गया था। प्रशासन ने तमाम कोशिशें कीं पर विफल हो गई।
लोगों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन – NHRC
मीडिया की खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए NHRC ने कहा है कि खबर सच है, तो यह मानवाधिकार के उल्लंघन का गंभीर मामला है। उसने कहा कि छोटे बच्चों के खुले/छोड़े गए बोरवेल और ट्यूबवेल में गिरने की ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं/घातक दुर्घटनाओं को रोकने संबंधी उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं। यह साफतौर पर कर्तव्य के प्रति उनकी लापरवाही और लोगों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
जानकारी मांगी
आयोग ने मामले में दर्ज प्राथमिकी, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और मृतक के परिजनों को दिए गए मुआवजे इत्यादि की जानकारी भी देने को कहा है।
दूसरा मामला अलग समूह के रक्त को चढ़ाने का मामला
वहीं दूसरा मामला
जयपुर के सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज के जेके लोन अस्पताल में इलाज के दौरान 10 वर्षीय बच्चे को दो
अलग-अलग समूह के रक्त को चढ़ा दिया गया। जिसकी वजह से बच्चे की हालत गंभीर है। उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है।
घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जांच जरूरी
आयोग ने कहा है कि खबर में दी गई सूचना सही होने पर यह बच्चे के मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघन का मामला है क्योंकि डॉक्टरों या चिकित्सा पेशेवरों की किसी भी लापरवाही से मरीजों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। कुछ महीने पहले जयपुर के इस अस्पताल में ऐसी ही लापरवाही से एक 23 वर्षीय मरीज की जान जाने का आरोप है। एक ही अस्पताल में रक्त आधान में लापरवाही के दो कथित मामले चौंकाने वाले और चिंता का विषय हैं क्योंकि यह मरीजों के स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। ऐसी लापरवाही करने वाले व्यक्तियों की पहचान करने और घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए मामले की गहरी जांच जरूरी है।