देहरादून से आए पिरामिड ऊर्जा विषेषज्ञ सतीष अग्रवाल ने इस मौके पर बताया कि आपके ध्यान करने की समय सीमा आपकी उम्र के अनुसार ही तय होती है। उन्होंने बताया कि जितनी उम्र हो उसके अनुसार उतने ही मिनट ही ध्यान करना चाहिए। यही जीवन जीने की बेहतर कला है।
दिल्ली से आई योग सिंगर नागलक्ष्मी ने बताया संगीत से ध्यान जुडा हुआ है। उन्होंने नौ भाषाओं में गीत गाकर संगीत एवं ध्यान की जुगलबंदी को बताया। इस मौके पर उन्होंने विभिन्न सुरो को साधते हुए श्रोताओं को रियाज भी करवाया।
फेस्ट के पहले दिन करीब एक दर्जन से अधिक सेशन का आयोजन किया गया। इसमें योग, मेडिटेशन तथा पिरामिड एनर्जी पर व्याख्यान हुए। इस अवसर पर दिपषिखा ग्रुप के चेयरमेन प्रेम सुराणा ने सभी अतिथियों का माला पहना कर स्वागत किया।