बुड्ढा नाले के आसपास बसे गांवों में हेपेटाइटिस और त्वचा रोगी तेजी से बढ़ रहे हैं। सतलुज का पानी नहरों के जरिए राजस्थान में आता है। इससे उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों में कैंसर फैला रहे हैं। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में कैंसर के रोगी तेजी से बढ़े हैं।
रेडियेशन एंड कैंसर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान आ रहे पंजाब के प्रदूषित पानी को पित्ताशय कैंसर का प्रमुख कारण मानती है। यह रिपोर्ट सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज बीकानेर के डिपार्टमेंट ऑफ रेडियेशन ऑन्कोलॉजी, डिपार्टमेंट इंटरनल मेडिसिन, कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज भुवनेश्वर के कैंसर रोग विशेषज्ञों के शोध पर आधारित है।
पहले भी चेता चुकी हैं संस्थाएं
केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय बुड्ढा नाले को गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र घोषित कर चुका है। मंत्रालय ने नाले के प्रदूषित पानी को सतलुज नदी में डालने को जीवन से खिलवाड़ बताया। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से पता चला कि बुड्ढा नाला और सतलुज नदी के संगम के नीचे सतलुज में कुल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की संख्या 22,00,000 एमपीएन/100 है, जो 100 गुना अधिक है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बुड्ढा नाला और सतलुज नदी की जल गुणवत्ता पर जारी रिपोर्ट में साफ किया कि 2022 की तुलना में वर्ष 2024 में जल गुणवत्ता और भी खराब हुई है।
बुड्ढा नाले में इन उद्योगों का अपशिष्ट
-रसायन उद्योग अम्ल, क्षार, कार्बनिक यौगिक दे रहे त्वचा रोग, एलर्जी और कैंसर।-धातु उद्योग सीसा, क्रोमियम, कैडमियम त्वचा में जलन और रंग बदल देते हैं।
-चमड़ा उद्योग इस उद्योग से निकलने वाले क्रोमियम, सल्फाइड त्वचा रोग दे रहे।
-रंग उद्योग रंग और अन्य रसायन त्वचा में जलन, खुजली और त्वचा के रंग में बदलाव ला रहे।
सामूहिक प्रयासों से ही समाधान
1. प्रदूषण रोकने में सरकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 2. प्रदूषण नियंत्रण कानून सख्ती से लागू हों। अवैध अपशिष्ट डंपिंग के लिए दंड शामिल हो। 3. उद्योगों को प्रभावी उपचार संयंत्रों से लैस किया जाना चाहिए, और सीवेज उपचार क्षमता विस्तार के लिए निवेश करना चाहिए। 4. गंदगी को डंप करने के नकारात्मक परिणामों के बारे में जन जागरुकता अभियानों को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
गिर रहे बाल, नाखूनों में इन्फेक्शन
बाड़मेर लिफ्ट परियोजना से मिल रहे इंदिरा गांधी नहर के पानी से बाड़मेर और आस-पास लोग भी त्वचा रोग, बालों के झड़ने और नाखूनों में इन्फेक्शन से प्रभावित हो रहे हैं। यहां भी पित्ताशय के कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं। हार्ड वाटर के चलते पाचन क्रिया प्रभावित हो रही है। इसके चलते पेट और लीवर की बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। यह भी पढ़ें
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ऐसे आता है राजस्थान में पानी
इंदिरा गांधी नहर-गंगनहर को पानी की आपूर्ति पंजाब के फिरोजपुर जिले में बने हरिके हैडवर्क्स से होती है। फिरोजपुर फीडर को भी यहीं से पानी की आपूर्ति है। हरिके हैडवर्क्स पर आने वाले पानी का स्रोत सतलुज और व्यास नदियों के साथ पोंग और रणजीत सागर बांधों में संग्रहित पानी है।जहां पहुंचा पानी, वहां ज्यादा कैंसर रोगी
अध्ययन में पाया गया कि पंजाब का प्रदूषित पानी नहरों के जरिए राजस्थान के जिन जिलों में पहुंच रहा है वहां वहां पित्ताशय कैंसर के रोगी बढ़े हैं। उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के जिलों में गंगनहर, भाखड़ा और इंदिरा गांधी नहर का पानी सिंचाई के साथ पेयजल के रूप में इस्तेमाल होता है। पेयजल के लिए इंदिरा गांधी नहर पर आश्रित श्रीगंगानगर में पित्ताशय कैंसर के 314, हनुमानगढ़ में 269, बीकानेर में 257, चूरू में 106, झुंझुनूं में 78, नागौर में 62, सीकर में 37, जोधपुर में 12 और जैसलमेर जिले में 9 रोगी मिले हैं।
संक्रमण की आशंका
केमिकल का स्तर मानक से ज्यादा होने पर त्वचा, बालों व पेट को सबसे पहले प्रभावित करता है। इससे लीवर संक्रमण और पित्ताशय के कैंसर की आशंका भी रहती है।-डॉ. जितेंद्र सारस्वत, त्वचा रोग विशेषज्ञ, श्रीगंगानगर