जयपुर

दुश्वार हो रहा एक से दूसरी जगह आना-जाना

सफर: जाम और खटारा बसों से मिले मुक्ति

जयपुरDec 22, 2018 / 11:54 am

Mridula Sharma

दुश्वार हो रहा एक से दूसरी जगह आना-जाना

अश्विनी भदौरिया/जयपुर. शहर में साल दर साल बढ़ते वाहन, सड़कों पर पसरे अतिक्रमण और कदम-कदम पर लगते जाम लोगों के लिए परेशानी के सबब बने हुए हैं। सार्वजनिक परिवहन का हाल खराब है। 10 साल पहले शुरू हुई मेट्रो रेल अब तक यात्रियों को आकर्षित नहीं कर पाई है। बसें सड़क पर दौड़ तो रही हैं लेकिन उनमें आधी से अधिक कंडम हैं जो आए दिन बीच सड़क पर खराब खड़ी नजर आती हैं। सरकार चाहे तो मेट्रो, सिटी बस सेवा और ऑटो में सामंजस्य बैठाकर शहरवासियों को राहत देने का काम कर सकती है। वहीं, मेट्रो फेज-2 का रूट भी प्रस्तावित है। लोगों को उम्मीद है कि इस पर जल्दी काम शुरू हो। हालांकि इसके लिए सरकार को 10 हजार करोड़ रुपए के बजट की दरकार होगी।
 

परेशानी का पैमाना
– मुख्य मार्गों पर पीक ऑवर्स में यात्रियों को करना पड़ता है 30 से 45 मिनट तक बस का इंतजार।
– लो फ्लोर बसें आए दिन बीच सड़क पर हो जाती हैं खराब, लोगों को होती है परेशानी।
– जहां मेट्रो ट्रेन चल रही, वहां से आसपास के क्षेत्र में कनेक्टिविटी बेहतर नहीं।
 

सरकार यह करे
– राजधानी में फेज-2 का निर्माण कार्य शुरू हो, इससे लाखों शहरवासियों को फायदा होगा।
– मेट्रो और लो-फ्लोर बसों का सामंजस्य बैठाए, ताकि यात्रियों को परेशानी न हो।
– कई जगह ऑटो स्टैंड सड़क पर हैं, जो राहगीरों के लिए परेशानी बने हुए हैं। इनका हल निकले।
 

यहां से सीखें
पेरिस, हांगकांग सहित अन्य शहरों में मेट्रो के साथ बस सेवा ज़ुड़ी है। मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलने के पर तुरंत ही बस मिल जाती है। जापान में तो ट्रेन लेट होने का बहाना ही नहीं चलता। यदि कभी ट्रेन लेट हो भी जाती है तो अधिकारी लिखकर देते हैं और वजह भी बताते हैं।
 

जनप्रतिनिधि
– फेज-1बी का निर्माण कार्य जल्द कराना चाहिए। फेज 2 के कार्य पर भी सरकार को तेजी से ध्यान देना चाहिए। मेट्रो का जाल पूरे शहर में नहीं होगा, तब तक इसका फायदा नहीं मिल पाएगा। सतीश पूनिया, विधायक
– चांदपोल बाजार से बड़ी चौपड़ तक का व्यापार बीते पांच साल के ठप हो गया है। इस सरकार में इस काम को खत्म करवाकर शहरवासी जल्द परकोटा में मेट्रो का लुत्फ उठा सकेंगे। अमीन कागजी, विधायक
जनता की पीड़ा
– जिस रूट पर जयपुर मेट्रो चल रही है, उस पर अब तक सफलता नहीं मिली है। आज भी आस-पास के लोग बसों में धक्के खाते हुए जाते हैं। प्रीति सक्सेना, डीसीएम
– पूरे शहर में मेट्रो का जाल तो तब जाकर सफलता मिलेगी। लालकोठी जाने के लिए मुझे घर से एक-डेढ़ घंटा पहले निकलना होता है। अर्पित अग्रवाल, छात्र
एक्सपट्र्स कमेंट
यूरोपीय देशों में मेट्रो स्टेशन के लिए लोग घर से पैदल ही आ जाते हैं। बमुश्किल एक किमी तक चलना होता है। पीक ऑवर्स में मेट्रो ट्रेन के आने जाने का समय तक कम कर देते हैं। यहां के शहरों में सड़क पर बसों का इंतजार करते हुए लोग नहीं दिखाई देते। में यात्रियों का भार ही नहीं है। – उम्मेद सिंह राठौड़, पूर्व पुलिस अधिकारी (कई देशों में यात्रा कर चुके हैं)

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