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जयपुर

प्रशासन शहरों के संग अभियान का हाल…जर्मनी से पट्टा लेने आए, 30 दिन से लगा रहे चक्कर

प्रशासन शहरों के संग अभियान में भले ही जेडीए ने सबसे ज्यादा पट्टे बांटने का रेकॉर्ड बनाया हो, लेकिन सच्चाई यह भी है कि लोगों को बेवजह परेशान भी किया जा रहा है। इन लोगों को अधिकारी न तो कोई कारण बता रहे हैं और न ही पट्टा जारी कर रहे हैं। जबकि, राज्य सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोगों को पट्टे मिलें।

जयपुरSep 02, 2022 / 08:55 pm

Ashwani Kumar

प्रशासन शहरों के संग अभियान का हाल...जर्मनी से पट्टा लेने आए, 30 दिन से लगा रहे चक्कर

प्रशासन शहरों के संग अभियान का हाल…जर्मनी से पट्टा लेने आए, 30 दिन से लगा रहे चक्कर

जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान में भले ही जेडीए ने सबसे ज्यादा पट्टे बांटने का रेकॉर्ड बनाया हो, लेकिन सच्चाई यह भी है कि लोगों को बेवजह परेशान भी किया जा रहा है। इन लोगों को अधिकारी न तो कोई कारण बता रहे हैं और न ही पट्टा जारी कर रहे हैं। जबकि, राज्य सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोगों को पट्टे मिलें। इसके लिए नियमों में छूट भी दी है। वहीं, जेडीए में कई फरियादी ऐसे हैं जो कई माह से चक्कर काट रहे हैं। एक व्यक्ति तो जर्मनी से पट्टा लेने आया, लेकिन जोन चार के अधिकारियों और कर्मचारियों ने ऐसा फंसाया कि अब तक वो वापस नहीं जा पाया।
आपत्ति नहीं आई, फिर भी नहीं दिया पट्टा

लक्ष्मी नगर भूखंड संख्या 71 निवासी महर्षि मिश्रा जर्मनी में बिजनेस करते हैं। जुलाई के अंतिम सप्ताह में लीज होल्ड से फ्री होल्ड पट्टे का आवेदन जोन चार में किया था। विज्ञप्ति का प्रकाशन भी 13 जुलाई को कर दिया और कोई आपत्ति भी नहीं आई। अब अधिकारी मूल दस्तावेज खो जाने की बात कर पट्टा जारी नहीं कर रहे हैं। जबकि पिछले 30 दिन में वे कई चक्कर जेडीए में लगा चुके हैं। जानकारों की मानें तो फ्री होल्ड पट्टा जारी करने के दौरान विज्ञप्ति जारी करने की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में जोन उपायुक्त ने जेडीए राजस्व को भी नुकसान पहुंचाया।
80 दिन से घूम रही फाइल

सिद्धार्थ नगर-जी में रहने वाले श्रवण लाल मीणा ने 19 जून को भूखंड से सब डिवीजन का ऑनलाइन आवेदन किया। आठ जुलाई को आपत्ति लगा दी। आवेदनकर्ता से भूखंड की फोटो, गूगल प्लान और सेटबैक कवर किए बिना फोटो मांगे। आवेदनकर्ता ने ये सब भी अपलोड कर दीं। इसके बाद भी अब तक इनके भूखंड का सब डिवीजन नहीं हो पाया है। फाइल ऑनलाइन ही एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के यहां घूम रही है।

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