लड्डू से प्रसन्न हो जाते है बालाजी
यहां बालाजी के सीने के बाईं ओर एक छोटा-सा छिद्र है। इसमें से जल बहता है। मंदिर में ३ देवता विराजमान हैं – बालाजी, प्रेतराज और भैरव। इन तीनों देवताओं को विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। बालाजी महाराज लड्डू से प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं भैरवजी को उड़द और प्रेतराज को चावल का भोग लगाया जाता है।
यहां बालाजी के सीने के बाईं ओर एक छोटा-सा छिद्र है। इसमें से जल बहता है। मंदिर में ३ देवता विराजमान हैं – बालाजी, प्रेतराज और भैरव। इन तीनों देवताओं को विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। बालाजी महाराज लड्डू से प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं भैरवजी को उड़द और प्रेतराज को चावल का भोग लगाया जाता है।
एक हफ्ते पूर्व बंद करना होता है इनका सेवन
बालाजी के धाम की यात्रा करने से कम से कम एक हफ्ते पूर्व प्याज, लहसुन, मदिरा, मांस, अंडा और शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए। कहते हैं कि बालाजी के प्रसाद के दो लड्डू अगर प्रेतबाधा से पीड़ित व्यक्ति को खिलाए जाएं तो उसके शरीर में स्थित प्रेत को भयंकर कष्ट होता है और वह छटपटाने लगता है।
बालाजी के धाम की यात्रा करने से कम से कम एक हफ्ते पूर्व प्याज, लहसुन, मदिरा, मांस, अंडा और शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए। कहते हैं कि बालाजी के प्रसाद के दो लड्डू अगर प्रेतबाधा से पीड़ित व्यक्ति को खिलाए जाएं तो उसके शरीर में स्थित प्रेत को भयंकर कष्ट होता है और वह छटपटाने लगता है।
यहां चढ़ाया गया प्रसाद यहीं पूर्ण कर जाएं
मेहंदीपुर में चढ़ाया गया प्रसाद यहीं पूर्ण कर जाएं। इसे घर पर ले जाने का निषेध है। खासतौर से जो लोग प्रेतबाधा से परेशान हैं, उन्हें और उनके परिजनों को कोई भी मीठी चीज और प्रसाद आदि साथ लेकर नहीं जाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सुगंधित वस्तुएं और मिठाई आदि नकारात्मक शक्तियों को अधिक आकर्षित करती हैं। इसलिए इनके संबंध में स्थान और समय आदि का निर्देश दिया गया है।
मेहंदीपुर में चढ़ाया गया प्रसाद यहीं पूर्ण कर जाएं। इसे घर पर ले जाने का निषेध है। खासतौर से जो लोग प्रेतबाधा से परेशान हैं, उन्हें और उनके परिजनों को कोई भी मीठी चीज और प्रसाद आदि साथ लेकर नहीं जाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सुगंधित वस्तुएं और मिठाई आदि नकारात्मक शक्तियों को अधिक आकर्षित करती हैं। इसलिए इनके संबंध में स्थान और समय आदि का निर्देश दिया गया है।
ब्रह्मचर्य का करें पालन
जितने समय बालाजी की नगरी में रहें, ब्रह्मचर्य का पालन करें। ऐसा कोई भी कार्य न करें जो धार्मिक मर्यादा के विरुद्ध हो। आध्यात्मिक संस्कारों में पवित्रता, सात्विकता और मर्यादा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जहां इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है, वहां पूरा फल नहीं मिलता और अनिष्ट की आशंका होती है।
जितने समय बालाजी की नगरी में रहें, ब्रह्मचर्य का पालन करें। ऐसा कोई भी कार्य न करें जो धार्मिक मर्यादा के विरुद्ध हो। आध्यात्मिक संस्कारों में पवित्रता, सात्विकता और मर्यादा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जहां इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है, वहां पूरा फल नहीं मिलता और अनिष्ट की आशंका होती है।