राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का ‘विशेष संबोधन’ राजस्थान विधानसभा के लिए ऐतिहासिक दिन रहा। ये पहली बार था जब किसी राष्ट्रपति ने राज्य विधानसभा सत्र के दौरान सदन में अपना उद्बोधन दिया हो। हालांकि राष्ट्रपति का भाषण सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बना।
… तो केआर नारायणन का होता संबोधन
जानकारी के अनुसार राजस्थान विधानसभा के जयपुर स्थित नए भवन का उद्घाटन करने 24 मार्च 2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण आने वाले थे। लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उनके आने का कार्यक्रम आखिरी समय में टल गया था। ऐसे में यदि वे आते और सदस्यों को संबोधित करते तो वे राज्य विधानसभा को संबोधित करने वाले पहले राष्ट्रपति होते।
विधानसभा पहुंचने पर हुआ स्वागत
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राज्य विधानसभा परिसर में पहुंचने पर स्वागत किया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र, विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी, संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और प्रमुख सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने राष्ट्रपति को फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चोटिल होने के कारण इस मौके पर शामिल नहीं हुए।
विधायकों को नसीहत राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, जनप्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं। उनका आचार-विचार जनहित की दिशा में जनता के लिए होना चाहिए। जनप्रतिनिधियों की सोच ‘मैं’ और ‘मेरा’ को छोड़कर ‘हमारा’ होना चाहिए। मैं और मेरा सोचने से देश और समाज का हित नहीं होता। इसलिए जनप्रतिनिधियों को हमेशा जनता के लिए, राज्य के लिए सोचना चाहिए।
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