जयपुर

राजस्थान में ‘मध्य प्रदेश मॉडल’ लागू, CM भजनलाल ने बढ़ाया सरपंचों का कार्यकाल; वार्ड पंचों को मिला बड़ा मौका

Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने पंचायत चुनावों को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ की राह प्रशस्त कर दी है। इसके तहत वर्तमान सरपंचों का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है।

जयपुरJan 16, 2025 / 11:12 pm

Nirmal Pareek

Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने पंचायत चुनावों को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ की राह प्रशस्त कर दी है। इसके तहत वर्तमान सरपंचों का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। सरपंचों को प्रशासक बनाकर पंचायतों का संचालन करने का आदेश जारी किया गया है। सरकार का यह कदम मध्य प्रदेश मॉडल पर आधारित है, जिसमें पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी प्रशासनिक जिम्मेदारी निवर्तमान सरपंचों को दी गई है।

सरपंचों का कार्यकाल क्यों बढ़ा?

दरअसल, प्रदेश में 6759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 17 जनवरी, 2024 को समाप्त हो रहा था। लेकिन अपरिहार्य कारणों से पंचायत चुनाव समय पर कराना संभव नहीं हो पा रहा है। इसके मद्देनजर सरकार ने राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 के तहत विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह फैसला लिया है।
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प्रशासकीय समिति का गठन

भजनलाल सरकार ने आदेश जारी करते हुए निवर्तमान सरपंचों को ग्राम पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया है। पंचायतों के सुचारू संचालन के लिए प्रशासकीय समिति का गठन भी किया गया है। प्रशासकीय समिति में निवर्तमान उप सरपंच और वार्ड पंचों को शामिल किया गया है। सरकार के इस आदेश में प्रशासकीय समिति की भूमिका भी तय की गई है।
इस निर्णय के बाद प्रशासकीय समिति का कार्य पंचायत के सभी काम और नीतिगत निर्णय प्रशासक के साथ मिलकर करना और पंचायत की बैठकों में निर्णयों पर परामर्श देने का रहेगा। वहीं, ग्राम पंचायतों के बैंक खातों का संचालन निवर्तमान सरपंच और संबंधित ग्राम विकास अधिकारी करेंगे। साथ ही प्रशासकीय समिति की कार्यावधि नवगठित ग्राम पंचायत की पहली बैठक से एक दिन पहले तक रहेगी।

‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ की तैयारी

बताया जा रहा है कि सरकार के इस निर्णय का उद्देश्य राज्य में ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ लागू कर एक साथ चुनाव कराना है। क्योंकि ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ प्रणाली से पंचायत चुनावों को विधानसभा और लोकसभा चुनावों के साथ कराने से वित्तीय संसाधनों और मानव संसाधनों की बचत होगी। वहीं, एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक समन्वय भी बेहतर होगा। सरकार का यह फैसला पंचायतों के सुचारू संचालन और चुनावी प्रक्रियाओं में सुधार के लिए उठाया गया है। राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 के प्रावधानों का पालन करते हुए यह निर्णय लिया गया है।
इसके अलावा सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि नई पंचायतों के गठन तक पंचायतों का कार्य सामान्य रूप से चलता रहेगा। यह फैसला ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन में किसी भी प्रकार के काम न रुकें, इसलिए लिया गया है।
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जनवरी में 6759 पंचायतों का कार्यकाल पूरा

गौरतलब है कि राजस्थान में इस समय कुल 11 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायते हैं। अगले कुछ माह में इनका कार्यकाल पूरा हो रहा है। जनवरी में 6759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। मार्च में 704 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, वहीं, सितंबर-अक्टूबर 3847 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत सभी पंचायतों में एक साथ चुनाव करवाने के लिए प्रशासक लगाने जरूरी थे। इस गैप को खत्म करने के लिए प्रशासक लगाने का फैसला लिया गया है।

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