जयपुर के नहर के गणेशजी मंदिर में शहरवासियों ने गजानन महाराज की पूजा-अर्चना कर आरती की। इस दौरान विध्नहर्ता से कामयाबी की प्रार्थना की गई। इसमें संजय राजपुरोहित, आंचल अवाना, उर्मिला पुरोहित सहित कई लोग शामिल हुए। वहीं, एक दिन पहले हिंदू रक्षा सेना राजस्थान की ओर से सीतापुरा स्थित शिव मंदिर में हवन किया गया। जनसमस्या निवारण मंच की ओर से भूतेश्वर महादेव मंदिर में भोलेनाथ का रुद्राभिषेक किया गया।
महाकालेश्वर मंदिर में विशेष ‘भस्म आरती’ चंद्रयान की सफल लैंडिंग के लिए मध्य प्रदेश के उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में विशेष ‘भस्म आरती’ की गई। ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन से लेकर संयुक्त राज्य अमरीका तक विशेष अनुष्ठान, प्रार्थनाएं और समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। अमरीका में न्यू जर्सी के मोनरो में ओम श्री साईं बालाजी मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र में प्रार्थना की जा रही है। वहीं अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में चंद्रयान 3 की सफलता के लिए दुआ मांगी।
बच्चों के साथ लैंडिंग का सीधा प्रसारण देखेंगे सीएम गहलोत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चंद्रयान 3 की चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का सीधा प्रसारण मुख्यमंत्री निवास पर टीवी पर देखेंगे। इस मौके पर कुछ स्कूली बच्चों का दल भी उनके साथ मौजूद रहेगा। इधर, सीएम गहलोत ने चांद पर पहली बार इंसान के उतरने के ऐतिहासिक घटनाक्रम के दौरान अपने छात्र जीवन के संस्मरण को याद किया है। उन्होंने कहा है कि जब ये ऐतिहासिक घटना हुई थी, तब वे एक छात्र के रूप में बेहद उत्साहित थे।
बता दें कि अमरीका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। वहीं भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला पहला देश बन जाएगा, जो पानी मिलने की संभावना के कारण काफी दिलचस्प मना जा रहा है।
14 जुलाई को किया गया था लॉन्च
बता दें कि चंद्रयान-2 के विफल होने के बाद मून मिशन चंद्रयान-3 पिछले महीने 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। 5 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था। 17 अगस्त को दोनों मॉड्यूल – रोवर और लैंडर – के अलग होने से पहले 6,9,14 और 16 अगस्त को चांद की कक्षा की दूरी कम करने की कवायद की गई थी।
बता दें कि चंद्रयान-2 के विफल होने के बाद मून मिशन चंद्रयान-3 पिछले महीने 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। 5 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था। 17 अगस्त को दोनों मॉड्यूल – रोवर और लैंडर – के अलग होने से पहले 6,9,14 और 16 अगस्त को चांद की कक्षा की दूरी कम करने की कवायद की गई थी।