Excise Policy 2020-21 जारी: नहीं बढ़ेगी दुकानों की संख्या, कम बेची शराब तो जुर्माना,Excise Policy 2020-21 जारी: नहीं बढ़ेगी दुकानों की संख्या, कम बेची शराब तो जुर्माना,Excise Policy 2020-21 जारी: नहीं बढ़ेगी दुकानों की संख्या, कम बेची शराब तो जुर्माना
जयपुर। नकली अथवा जहरीली शराब की बिक्री रोकने के लिए मध्यप्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी फांसी की सजा की मांग उठ रही है। प्रदेश में उम्रकैद तक सजा है, लेकिन पुलिस की ढिलाई से शीघ्र सजा नहीं मिल पा रही है। भरतपुर में 7 माह पहले नकली शराब से 9 लोगों की मौत का मामला इसका उदाहरण है, जो ट्रायल तक अटका है और जोधपुर के 10 साल पुराने मामले में अब तक सजा नहीं हुई है।
प्रदेश में 2007 में नकली शराब के मामलों में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान जोड़ा गया। इन 13 वर्षों में 7—8 जगह बड़ी शराब दुखान्तिका हो चुकी हैं और नकली शराब बिकने के मामले तो अनेक सामने आ चुके हैं। इन मामलों में सजा और सख्त करने को लेकर पड़ताल की गई तो कहा गया कि बड़े मामलों में फांसी की सजा होनी चाहिए, लेकिन इन मामलों में कार्रवाई की रफ्तार बढ़े बिना सिलसिला रुकने वाला नहीं है।
2007 में जोड़ी थी उम्रकैद की सजा
आबकारी अधिनियम में 2007 में संशोधन कर धारा 54—बी जोड़ी गई, जिसके तहत जहरीली शराब पीने से मौत होने पर दो साल से लेकर उम्रकैद और एक लाख से लेकर 10 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान जोड़ा गया। इसी तरह जहरीली शराब से गंभीर हानि या विकलांगता होने पर दो साल से लेकर उम्रकैद तथा 50 हजार से 5 लाख रुपए तक जुर्माना और अन्य मामलों में एक से 10 साल तक सजा व 50 हजार से ढाई लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया। कानून में प्रभावितों को क्षतिपूर्ति दिलाने का भी प्रावधान है, जो मौत के मामले में कम से कम
तीन लाख रुपए है।
12 साल में आए ये प्रमुख मामले
दिसम्बर 2008— जयपुर के शाहपुरा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में जीत के जश्न में पीने वालों की मौत।
2011— पाली व जोधपुर में अनेक मौत। जोधपुर के मामले में अब तक सजा नहीं हुई।
जनवरी 2021— भरतपुर जिले के रूपवास क्षेत्र में 9 लोगों की मौत। अब तक चालान ही पेश हुआ, सजा नहीं हुई।
इस बीच सांगानेर, अलवर और बाड़मेर में भी शराब दुखान्तिका हो चुकी है।
यह कहते हैं विशेषज्ञ
जहरीली शराब से मौत भी हत्या है, इसमें फांसी होनी चाहिए। लेकिन सजा जल्दी होगी तो उसका भी प्रभाव होगा।