ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि शास्त्रों में शिवजी को शनि का आराध्य और गुरु भी कहा गया है। शनि प्रदोष वस्तुत: इन दोनों का आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। इस दिन शनिदेव की विधिपूर्वक पूजा करना चाहिए। शनिदेव को तेल, काला तिल, काले वस्त्र, और उड़द बहुत प्रिय हैं इसलिए इनका अर्पण जरूर करें।
जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, जो शनि महादशा या अंतरदशा से गुजर रहे हों उन्हें शनि प्रदोष पर व्रत रखकर पूजा जरूर करना चाहिए. इससे शनि के प्रकोप से कुछ हद तक छुटकारा अवश्य मिलता है। याद रखें शनिदेव जल्द प्रसन्न होनेवाले नहीं हैं इसलिए शनि दशा में पूजा—पाठ या अन्य उपायों से आंशिक राहत ही मिलती है।
शनि प्रदोष के दिन दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ विशेष लाभदायक होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार संतान सुख के लिए यह व्रत सबसे अच्छा माना जाता है। शनि प्रदोष व्रत मुख्यत: वंश वृद्धि के लिए ही रखा जाता है। यह व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। कोई स्त्री इस दिन बिना जल पिए यह व्रत रखती है तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
व्रत में कुछ सावधानियां जरूर रखनी चाहिए। इस दिन मन में किसी के भी प्रति ईर्ष्या-द्वेष की भावना न रखें। शनि प्रदोष के दिन जरूरतमंदों को दान देना बहुत शुभ फलदायी होता है। खासकर पैर से विकलांगों की यथासंभव सेवा और सहायता करनेवालों से शनि बहुत प्रसन्न रहते हैं। इस दिन जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न के साथ जूते-चप्पल दान करना फलदायी होता है।