नतीजतन, गोविंदेव जी व ताड़केश्वर महादेव मंदिर सहित अन्य शिवालयों, शहर के प्रमुख मंदिरों तथा अन्य बाजारों में स्थित दुकानों पर हर सप्ताह दो हजार से अधिक रुद्राक्ष की माला की बिक्री हो रही है। इसके पहनने के बाद युवाओं की दिनचर्या संयमित होने के साथ ही उनका अध्यात्म की ओर रुझान भी बढ़ा है।
राजस्थान पत्रिका ने शहर के युवाओं की पसंद में आए इस बदलाव की पड़ताल की तो सामने आया कि शहर में करीब 100 दुकानों पर प्रतिमाह लाखों रुपए का रुद्राक्ष बिक जाता है। युवा सबसे ज्यादा पंचमुखी रुद्राक्ष या इससे बनी माला गले या हाथ में पहन रहे हैं।
गोपालजी का रास्ता में रूद्राक्ष के व्यवसायी कुणाल बंसल ने बताया कि शहर में सबसे ज्यादा रूद्राक्ष हरिद्वार, ऋषिकेश, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड से आता है। इसकी माला की शुरुआत कीमत 300 रुपए है। वहीं, आकार और मुख के हिसाब से कीमत बढ़ती जाती है। नेपाल से 14 मुखी रुद्राक्ष मंगाया जाता है, जिसकी कीमत 25 हजार रुपए से अधिक है। बंसल ने बताया कि असली रूद्राक्ष धीरे—धीरे काला पड़ जाता है, जबकि नकली का कभी रंग नहीं बदलता।
लोगों का यह है कहना…
ज्योतिष में अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम करने और शुभ ग्रहों का असर बढ़ाने के लिए जातक को रूद्राक्ष पहनने की सलाह दी जाती है। इसका पौराणिक और धार्मिक महत्व भी है।– पं.सुधाकर पुरोहित, ज्योतिषाचार्यरूद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रॉपर्टीज होती हैं। इसे पहनने से एकाग्रता बढ़ती है। दिमाग पर भी अच्छा असर पड़ता है। सेल फोन से निकले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी का असर भी यह थोड़ा कम कर देता है।– डॉ. सतीश गुप्ता, आयुर्वेद विशेषज्ञ
नेपाल से रुद्राक्ष की माला मंगवाकर पहनने के बाद कामकाज का तनाव कम हुआ है। मन में स्थिरता के साथ ही कार्य क्षमता भी बढ़ी है। शरीर में भी बदलाव महसूस हो रहा है। – नीरज शर्मा, सांगानेर