अमृतलाल मीणा की क्षेत्र में आदिवासी नेता के तौर पर पहचान थी। वो जुझारू नेता होने के साथ-साथ बीजेपी के कर्मठ कार्यकर्ता थे। अमृतलाल मीणा अपने इलाके के मुद्दों को विधानसभा में शिद्दत से उठाते थे। उनकी लोकप्रियता ही थी जो वे जीत की हैट्रिक बना पाने में सफल हुए थे। मीणा ने व्यक्तिगत स्तर पर भी क्षेत्र की जनता में अपनी गहरी पैठ बना रखी थी। ऐसे में उनके निधन से हर कोई स्तब्ध है।
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20 साल तक राजनीति में रहे सक्रिय
अमृतलाल मीणा का जन्म साल 1959 में सलंबूर जिले के लालपुरिया गांव में हुआ था। वे 20 साल राजनीति में सक्रिय रहे। सराड़ा पंचायत समिति सदस्य के रूप में पहला चुनाव लड़कर राजनीतिक जीवन का सफर शुरू किया। जिसमें वे पंचायत समिति नेता प्रतिपक्ष बने तथा उदयपुर जिला परिषद के सदस्य बने। उसके बाद 2013 में सलूम्बर विधानसभा क्षेत्र का पहला चुनाव पूर्व विधायक बसंती देवी मीणा के सामने जीते, दूसरा चुनाव 2018 में रघुवीर सिंह मीणा के सामने जीते तथा तीसरा चुनाव 2023 में फिर से रघुवीर मीणा से जीतकर तीसरी बार विधायक बने।पत्नी के कारण जाना पड़ा था जेल
फर्जी मार्कशीट के मामले में जुलाई 2021 में अमृतलाल मीणा को जेल भी जाना पड़ा था। दरअसल, विधायक अमृतलाल मीणा ने साल 2015 में अपनी पत्नी शांता देवी को सेमारी से सरपंच का चुनाव लड़वाया था। जिसमें उनकी पत्नी जीत गई थी। लेकिन, प्रतिद्वंदी उम्मीदवार सुगना देवी ने शांता देवी की फर्जी मार्कशीट को लेकर शिकायत दर्ज कराई। सीबीसीआईडी ने मामले की जांच शुरू की तो विधायक की पत्नी की मार्कशीट फर्जी निकली। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने विधायक अमृतलाल मीणा को स्थानीय कोर्ट में सरेंडर के आदेश दिए। जिस पर उन्होंने जमानत याचिका दायर की। लेकिन, कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए मीणा को जेल भेज दिया था। ऐसे में अमृतलाल मीणा को 10 दिन से ज्यादा जेल में भी रहना पड़ा था।