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अब नाबालिग से रेप पर मौत, एक क्लिक में जानिए पॉक्सो एक्ट के बारे में हर वो बात जो जानना है जरूरी

जानिए पॉक्सो एक्ट के बारे में हर जरूरी बात

जयपुरApr 21, 2018 / 04:21 pm

Nidhi Mishra

pocso act kya hota hai 78 pocso act in hindi pocso act punishment

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जयपुर। प्रदेश और देश के कई हिस्सों में नाबालिग बच्चियों से हो रहे दुष्कर्म मामलों में शनिवार को केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया। अब नाबालिग रेप के दोषियों को फांसी की सजा दी जाएगी। आपको बता दें कि पीएम मोदी का स्‍वदेश आने के तत्‍काल बाद कैबिनेट की बैठक हुई और यह फैसला लिया गया कि दे‍षियों को मौत की सजा दी जाएगी। बैठक में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस’ (पॉक्सो) एक्ट में बदलाव कर 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार के दोषी को मौत की सजा पर कैबिनेट के मुहर लगाने का प्रस्‍ताव रखा गया था जिस पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्‍सो एक्‍ट) में बदलाव लाई और आरोपी को फांसी की सजा पर अध्‍यादेश जारी किया।

पॉक्सो एक्ट में फांसी की सजा

आपको बता दें कि कठुआ में बीते दिनों हुई रेप घटना के बाद दुष्कर्म आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने और उन्हें कड़ी सजा देने की मांग उठी। कानून में बदलाव होने के बाद अब 12 साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा का प्रावधान है। पॉक्सो के अब तक के प्रावधानों के मुताबिक दोषियों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद और न्‍यूनतम सजा सात साल जेल है। इस कानून के दायरे में 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार शामिल है। इस कानून के तहत अलग-अलग अपराधों के लिए अलग-अलग सजा तय की गई थी। ये कानून लड़के और लड़की दोनों को समान रूप से सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य बनाया गया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की एक जनहित याचिका लंबित है। इसमें छोटे बच्चों के साथ दुष्कर्म पर चिंता जताते हुए कानून को कड़ा किये जाने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया था। इसके बाद शुक्रवार को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के माध्यम से एक नोट पेश किया गया। इस नोट में सरकार ने पोक्‍सो कानून में संशोधन कर 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा देने का प्रावधान रखा था।
आइए अब आपको बताते हैं क्या है पोक्सो एक्ट
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए पोक्सो यानी Protection of Children from Sexual Offences Act अधिनियम बनाया गया है। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों को रोकने के लिए, पोक्सो एक्ट-2012 बनाया था। साल 2012 में बनाए गए इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। पोक्सो की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं, जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है। आरोपियों पर दोष सिद्ध होने की स्थिति में 5 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। इस एक्ट की जरूरत इसलिए थी कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की संख्या में इजाफा हो रहा था। वहीं बच्चे बहुत मासूम होते हैं और आसानी से बहलाए जा सकते हैं। कई बार अपने साथ हुई हिंसक घटनाओं से डर कर अभिभावकों को भी कुछ नहीं कह पाते।

एक्ट के प्रावधान
यौन शोषण की परिभाषा में यौन उत्पीड़न, अश्लील साहित्य, सेक्सुअल और गैर सेक्सुअल हमले को शामिल किया गया है।
. भारतीय दंड संहिता, 1860 के हिसाब से सहमति से सेक्स की उम्र 16 से बढ़ाकर 18 साल कर दी गई है। मतलब ये हुआ कि
. अगर कोई व्यक्ति (एक बच्चा सहित) किसी बच्चे के साथ उसकी सहमति या बिना सहमति के यौन कृत्य करेगा तो उसे पोक्सो एक्ट के तहत जाहिर तौर पर सजा मिलेगी।
. यदि पति या पत्नि 18 साल से कम उम्र के जीवनसाथी के साथ भी यौन कृत्य करे तो वो अपराध है और उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
. अधिनियम पूरे भारत में लागू है। साथ ही 18 साल से कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों के खिलाफ संरक्षण मुहैया करवाता है।
. पोक्सो कानून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने होनी चाहिए। बच्चे के साथ उसके माता पिता या जिन पर वो विश्वास करते हैं, की उपस्थिति अनिवार्य है।
. अभियुक्त के किशोर होने की स्थिति में किशोर न्यायालय अधिनियम, 2000 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) में मुकदमा चलेगा।
. पीड़ित बच्चे के विकलांग, मानसिक या शारीरिक रूप से बीमार होने की अवस्था में विशेष अदालत को उसकी गवाही को रिकॉर्ड करने या किसी अन्य उद्देश्य के लिए अनुवादक, दुभाषिया या विशेष शिक्षक की सहायता लेनी होती है।
. यदि कल्प्रिट ने ऐसा अपराध किया हो बाल अपराध कानून के अलावा भी अन्य कानून में अपराध है तो उसे सजा उस कानून के तहत होगी जो सबसे सख्त हो।
. अपने आपको दोष रहित साबित करने का दायित्व अभियुक्त का ही होता है। इस अधिनियम में झूठा आरोप लगाने, झूठी जानकारी देने या किसी की छवि खराब करने के लिए भी सजा का प्रावधान रखा गया है।
. यौन प्रयोजनों के लिए बच्चों का व्यापार यानी child trafficking करने वालों के खिलाफ भी सख्त सजा का प्रावधान है।

. इस अधिनियम में यह प्रावधान भी है कि यदि कोई व्यक्ति यह जनता है कि किसी बच्चे का यौन शोषण हुआ है और उसने इसकी रिपोर्ट नजदीकी थाने में नहीं दी है तो उसे भी छह महीने की जेल और आर्थिक दंड दिया जा सकता है।
. इस अधिनियम के तहत बाल संरक्षक की जिम्मेदारी पुलिस की है। बच्चे की देखभाल और संरक्षण के लिए तत्काल व्यवस्था बनाने की ज़िम्मेदारी पुलिस की है। इसमें बच्चे के लिए आपातकालीन चिकित्सा और बच्चे को आश्रय गृह में रखना आदि शामिल हैं।
. पुलिस की जिम्मेदारी ये भी है कि मामले को 24 घंटे के अन्दर बाल कल्याण समिति यानी CWC की निगरानी में लाए ताकि बच्चे की सुरक्षा और संरक्षण के लिए व्यवस्था की जा सके।
. अधिनियम के तहत बच्चे की मेडिकल जांच के लिए भी प्रावधान हैं। मेडिकल जांच माता-पिता की उपस्थिति में और बच्ची का मेडिकल महिला चिकित्सक द्वारा ही किया जाना चाहिए।
. अधिनियम में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया है कि न्यायिक व्यवस्था द्वारा फिर से बच्चे पर जुल्म ना हो। बच्चे की पहचान गुप्त रहनी चाहिए।
. विशेष न्यायालय, बच्चे को दी जाने वाली मुआवजा राशि भी निर्धारित कर सकता है, जिससे बच्चे का उपचार और पुनर्वास किया जा सके।
. अधिनियम में साफ है कि बच्चे के यौन शोषण का मामला एक साल के अंदर ही निपटा देना चाहिए।

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