– वेद से विवेकानंद वाले इस देश में वो कौन सी बुराई घर कर गई कि आज हमें अपने ही घर में बेटी बचाने के लिए हाथ-पैर जोड़ने पड़ रहे हैं, बजट से पैसा खर्च करना पड़ रहा है
– जन्म के समय मां का दूध मिले, तो पोषण मिलता है लेकिन इसे भी नकारा जाता है, कुल मरने वाले बच्चों में से,हाथ न धोने से मारने वाले बच्चे 30 फीसदी
– सरकारी बजट से होने वाले काम नहीं, यह काम शिक्षा से होगा, हर सरकार में योजना बनती, लेकिन कैलोरी पेट में जाये उतना पर्याप्त नहीं, लेकिन इको सिस्टम ठीक करना होगा, खाने के साथ पानी भी सही होना चाहिए, बाल विवाह भी कुपोषण का कारण
– मैंने ऐसे परिवार देखे जहां बूढ़े मां बाप हो, 4 बेटे हो, कार हो लेकिन देखभाल नहीं हो,ऐसे परिवार भी जहां बेटियां काम करके,मां-बाप की करती है सेवा
– 3 महिला वैज्ञानिकों की उपलब्धि देखते’ जब झुंझनूं की बेटी फाइटर प्लेन चलाती,तो बेटियों की ताकत पता चलती है
– हर परिवार का संकल्प ही सफलता का कारण, 18वीं सदी में मारते थे बेटी को, आज हम उससे भी बुरे लगते हैं, क्योंकि तब सांस लेने का अवसर मिलता, आज तो मां के पेट में ही हत्या कर दी जाती है, इससे बुरा कोई पाप नहीं हो सकता
– हरियाणा में हमने कार्यक्रम किया,जहां तकलीफ वहीं से करूंगा शुरू,उन्होंने 2 वर्षों में जो सुधार किया,’देश के सभी जिलों में अब यह योजना लागू
– जब तक एक-एक परिवार जुड़ता नहीं है, इस काम को ज्यादा समय लगेगा,हमें एक सामाजिक,जनआंदोलन खड़ा करना होगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सात माह में यह तीसरा राजस्थान दौरा है। इस साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और ऐसे में मोदी के दौरे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। हालांकि, मोदी के लिए यह चिंता का विषय ही होगा कि जब वे बाड़मेर आकर गए तो राजस्थान में भाजपा उपचुनाव हार गई और अब जब झुंझुनूं आ रहे हैं तो एक दिन पहले पंचायत चुनावों में पार्टी को कांग्रेस के मुकाबले कम सीटें मिली हैं।
सरकार-संगठन ने झौंके संसाधन, आम लोगों को परेशानी तय
प्रधानमंïत्री नरेन्द्र मोदी की गुरुवार को झुंझुनूं में सभा को सफल बनाने के लिए सरकार और भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। लाखों की भीड़ जुटाने के लिए करीब एक से डेढ़ हजार बसों को लगाया गया है। बड़ी संख्या में छोटे वाहन अलग से लगाए गए हैं। ऐसे में गुरुवार को प्रदेश के कई इलाकों में आम आदमी को सफर में धक्के खाने पड़ सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार झुंझुनूं, सीकर और चूरू में अधिकांश बसों को प्रधानमंत्री की सभा के लिए लगाया गया है। ऐसे में इन तीनों जगह सबसे अधिक समस्या होगी। जयपुर , अलवर के साथ अजमेर और बीकानेर से भी करीब 200 बसों का इंतजाम करने की जानकारी है। ऐसे में लगभग सात से आठ जिलों में परिवहन सेवा चरमराने की आशंका है।
बाजौर ने सुनाई थी खरी-खोटी
बसों को लेकर सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर ने परिवहन मंत्री यूनुस खान को खरी-खोटी सुनाई थी, जिसके बाद मंत्री ने करीब एक हजार बसों का इंतजाम अकेले सीकर में करने का दावा किया था। हालांकि सीकर में करीब 175 बसों को काम में लिया जा रहा है।
झुंझुनूं, सीकर और चूरू में तो लोगों को यात्रा करने के लिए जीपें भी नसीब नहीं होंगी। यात्रियों को सबसे अधिक परेशानी जयपुर-चौमूं-सीकर-झुंझुनूं-चूरू मार्ग पर हो सकती है। झुंझुनूं-नारनोल-बहरोड़, झुंझुनूं-चिड़ावा-खेतड़ी समेत लगभग सभी स्थानीय मार्गों पर वाहनों की कमी रहेगी। जयपुर, अलवर, डीडवाना समेत अजमेर और बीकानेर के ग्रामीण इलाकों में लोगों को निजी जीपों में जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ सकती है।
सीकर और झुंझुनूं से लंबी दूरी की बसें भी काफी संख्या में संचालित होती हैं। इनके नहीं चलने से यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसी तरह के हाल जयपुर में भी देखने को मिल सकते हैं।