जयपुर

PHED की रिपोर्ट से सनसनी : इन 11 शहरों के लोग करते हैं हानिकारक पानी का सेवन

जयपुर: राजस्थान के 11 शहरों के निवासी हानिकारक पानी का सेवन करते हैं, लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) की राज्य प्रयोगशाला एवं रेफरल संस्थान द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में यह चौंकाने…

जयपुरJun 01, 2023 / 05:33 pm

Manoj Kumar

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 11 शहरी कस्बों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति नहीं है, इसका मतलब है कि इन शहरों में पानी असुरक्षित है।

जयपुर: राजस्थान के 11 शहरों के निवासी हानिकारक पानी का सेवन करते हैं, लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) की राज्य प्रयोगशाला एवं रेफरल संस्थान द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है।
राजस्थान के शहरी कस्बों में पेयजल गुणवत्ता की स्थिति बताने वाली रिपोर्ट ने सनसनी मचा दी है। राजस्थान के शहरों में उपलब्ध पीने के पानी की गुणवत्ता के आधार पर 235 शहरी कस्बों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है – पीने योग्य, आंशिक रूप से पीने योग्य और गैर पीने योग्य। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 11 शहरी कस्बों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति नहीं है, इसका मतलब है कि इन शहरों में पानी असुरक्षित है।
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रिपोर्ट के अनुसार सबसे बड़ी राहत की बात है राज्य के किसी भी कस्बे या शहर के पानी में फ्लोराइड नहीं मिला है। लेकिन नाइट्रेट, टीडीएस और कई अन्य धातुओं की भारी मात्रा मिली थी। हमारे परीक्षण से पता चला है कि अगर लोग लंबे समय तक इस गुणवत्ता वाले पानी का सेवन करते हैं तो उन्हें जल जनित बीमारियां हो सकती हैं।
सर्वेक्षण से पता चला है कि राजस्थान के पांच शहरों – अलवर जिले में भिवाड़ी और खारीताल और झुंझुनू जिले के नवलगढ़, सूरजगढ़ और चिरावा में नाइट्रेट की उच्च सांद्रता मिली है। अलवर के गोविंदगढ़ में पीने वाले पानी में टीडीएस की मात्रा अधिक पाई गई है। भरतपुर में नदबई, चूरू में रतनगढ़ और सीकर में फतेहपुर शेखावाटी, रामगढ़ शेखावाटी और लोसल में उपलब्ध पानी कई मापदंडों पर खरा नहीं उतरा, पानी दूषित पाया गया जोकि पिने योग्य नहीं है।
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रिपोर्ट में न केवल पानी की गुणवत्ता जांची गई है बल्कि समस्या के उन्मूलन के लिए उठाए जाने वाले संभावित कदमों का भी उल्लेख भी किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पीने योग्य पानी की समस्या को दो तरीकों से हल किया जा सकता है। सबसे पहले हमें पानी के स्रोत को सतही जल में बदलना होगा। यदि आस-पास कोई सतही जल स्रोत उपलब्ध नहीं है तो हम समुदाय आधारित जल शोधन संयंत्र लगा सकते हैं। पानी में इस प्रकार का संदूषण इसलिए होता है क्योंकि ये शहर केवल भूजल पर निर्भर हैं।
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वास्तव में, रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के सभी शहरों को भविष्य में सतही जल स्रोत पर स्विच करना चाहिए। जबकि 2002 में जब पिछली बार यह सर्वेक्षण किया गया था तब राज्य में केवल 40 कस्बे थे जहाँ सतही जल की खपत होती थी। वर्तमान में राज्य के 89 कस्बे सतही जल की खपत करते हैं। जहां 2002 में 76 शहर भूजल पर निर्भर थे वहीं वर्तमान में केवल 37 शहर भूजल पर निर्भर हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव पीएचईडी सुबोध अग्रवाल ने कहा, रिपोर्ट न केवल PHED बल्कि UDH जैसे अन्य विभागों के लिए भी उपयोगी है। मैं रसायनज्ञों से राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक समान सर्वेक्षण करने का अनुरोध करता हूं।

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