जयपुर शहर की लाखों की आबादी को पानी पिलाने वाला बीसलपुर सिस्टम 15 वर्ष पुराना हो गया है। हालात ऐसे हैं कि कभी वॉल्व तो कभी लाइन में लीकेज सामने आ रहे हैं। इनकी मरम्मत के लिए बीसलपुर प्रोजेक्ट के इंजीनियरों को दो से तीन महीने में ही सिस्टम का शटडाउन लेना पड़ रहा है। जिसके चलते आए दिन जयपुर शहर में पानी के लिए त्राहि त्राहि मची हुई है। उधर पुराने सिस्टम पर निर्भरता कम करने के लिए 1100 करोड़ की लागत से सूरजपुरा से बालावाला तक नई लाइन बिछाने की योजना बीसलपुर बांध से पानी आरक्षण के सहमति पत्र और जलदाय विभाग से प्रशासनिक व तकनीकी स्वीकृति में फंसी हुई है।
संस्था की दो टूक- सहमति पत्र के साथ योजना की प्रशासनिक व तकनीकी स्वीकृति दे विभाग
संस्था की दो टूक- सहमति पत्र के साथ योजना की प्रशासनिक व तकनीकी स्वीकृति दे विभाग
सूरजपुरा से लेकर जयपुर तक बीसलपुर सिस्टम के लिए 110 किलोमीटर लंबी नई लाइन बिछाने का मामला पांच वर्ष से बांध से पानी के आरक्षण को लेकर फंसा हुआ है। जलदाय विभाग लाइन बिछाने के लिए 1100 करोड़ का कर्ज जायका संस्था से लेने लिए आवेदन कर चुका है। जलदाय विभाग पानी आरक्षण का सहमति पत्र देना चाहता है। लेकिन संस्था ने दो टूक कहा है कि सहमति पत्र के साथ योजना की प्रशासनिक व तकनीकी स्वीकृति भी दी जाए।
सिस्टम जर्जर,कल हो सकता है दूसरा वाॅल्व भी खराब,जयपुर भुगत रहा है शटडाउन का दंश
बीसलपुर सिस्टम के तहत सूरजपुरा से लेकर जयपुर तक लाइन 2007 में बिछाई गई
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बीसलपुर सिस्टम के तहत सूरजपुरा से लेकर जयपुर तक लाइन 2007 में बिछाई गई
लाइन में लगे वॉल्व-बैंड पुराने हो गए गए हैं
आज एक वॉल्व की मरम्मत कर दी,दूसरा वाॅल्व कब धोखा दे जाए कोई नहीं कह सकता पुर्जे 15 वर्ष पुराने,कंपनियों ने बनाने ही बंद कर दिए
मरम्मत के लिए दो से तीन महीने में किसी न किसी कारण से शटडाउन लेना मजबूरी
आज एक वॉल्व की मरम्मत कर दी,दूसरा वाॅल्व कब धोखा दे जाए कोई नहीं कह सकता पुर्जे 15 वर्ष पुराने,कंपनियों ने बनाने ही बंद कर दिए
मरम्मत के लिए दो से तीन महीने में किसी न किसी कारण से शटडाउन लेना मजबूरी
जयपुर शहर की 40 लाख की आबादी होती है परेशान
बांध से पानी आरक्षण के लिए सहमति पत्र देने को लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकें हुई हैं। क्या निर्णय हुआ यह तो पत्रावली देख कर ही बता सकता हूं।
केडी गुप्ता-मुख्य अभियंता (शहरी) अतिरिक्त प्रभार
बांध से पानी आरक्षण के लिए सहमति पत्र देने को लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकें हुई हैं। क्या निर्णय हुआ यह तो पत्रावली देख कर ही बता सकता हूं।
केडी गुप्ता-मुख्य अभियंता (शहरी) अतिरिक्त प्रभार