जलदाय मंत्री महेश जोशी अपने विधान सभा क्षेत्र हवामहल के कुछ ‘खास’ वार्डों में बीसलपुर सिस्टम के पानी से ‘गंगा’ बहाने के अलावा जयपुर शहर के अन्य इलाकों में कुछ भी नहीं देख पा रहे हैं। अलबत्ता इतना जरूर है कि गर्मियो में पूरे प्रदेश में पेयजल प्रबंधन को लेकर आए दिन कई घंटों तक इंजीनियरों की कागजी बैठकें जरूर लेकर वाहवाही जरूर लूट रहे हैं।
लेकिन मंत्री जोशी के द्वारा प्रदेश में किस तरह गर्मियों में पेयजल प्रबंधन हो रहा है इसकी पोल राजधानी जयपुर में ही खुल रही है। जयपुर में झालाना बाइपास के पास आबाद 1200 से ज्यादा घरों की बस्ती में इन दिनों पानी की एक-एक बूंद के लिए हाहाकार मचा हुआ है। यहां पेयजल व्यवस्था के लिए तीन टंकियां रखी हुई हैं और इनको टैंकरों से दिन में तीन बार भरा जाता था। लेकिन अब भीषण गर्मी में इन टंकियों को सुबह एक बार भरा जा रहा है।
जो पहले बाल्टी लगा दे वही पानी भरने में सफल कुंडा बस्ती के लोगों की शिकायत पर पत्रिका ने इस बस्ती में जाकर हालात का जायजा लिया। लोगों ने बताया कि पानी के लिए रोज सुबह 5 बजे से संघर्ष शुरू हो जाता है। किसकी बाल्टी टंकी पर पहले लगे इसके लिए आए दिन महिलाओं के बीच मारपीट तक की नौबत आ जाती है। पीएचईडी के इंजीनियरों का फोन करते हैं तो एक ही बात सुनने को मिलती है कि जो व्यवस्था है उसी से काम चलाना होगा।
उत्तर सर्कल में 150 से ज्यादा टैंकर बढ़े, साउथ में चुप्पी उत्तर सर्कल में टैंकरों की संख्या बढ़ाने की बात आई तो इंजीनियरों ने इन इलाकों में डिमांड के अनुसार टैंकर बढ़ा दिए। क्योंकि इसी सर्कल में जलदाय मंत्री महेश जोशी का विधान सभा क्षेत्र भी है। इस सर्कल में 9 दिन में ही टैंकरों के फेरे 600 से बढ़ा कर 750 तक कर दिए हैं। लेकिन साउथ सर्कल में टैंकरों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है।