आज के दौर में लोगों के जीवन में अनिंद्रा ,तनाव ,डिप्रेशन की समस्या सबसे ज्यादा पाई जा रही है।स्लीप फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार आम लोगों में 10 से 30 %इंसोमेनिया की समस्या पायी जा रही है। मानसिक विकार को ठीक करने के लिए लोग सा महंगी दवाइयों पर निर्भर नहीं होकर थेरेपी की मदद ले रहे है। प्राकृतिक थेरेपी की मदद से अपनी बिगड़ी जीवन शैली को सुधार रहे है।
थेरेपी की मदद से तनाव ,अनिंद्रा की समस्याओं के अलावा पैरो के दर्द ,कमर दर्द में भी काफी आराम मिलता है साथ ही दिमाग भी शांत होता है। लोगों का यह मानना है कि लंबे समय तक दवाइयों पर निर्भर रहना शरीर और मस्तिष्क दोनों के लिए लाभदायक नहीं है। कोरोना के बाद थेरेपी लेना ज्यादा पसंद कर रहे है लोग। रिपोर्ट ओशियन की 2023 की एक स्टडी के अनुसार भारत में एरोमा थेरेपी में इस्तेमाल होने वाले आवश्यक तेलों के बाजार का आकार 6.92% की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। क्योंकि लोगों में थेरेपी की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। राजधानी में 14 से 15 एरोमा सेंटर्स चल रहे है। कई क्षेत्र जैसे राजा पार्क ,मालवीय नगर ,आदर्श नगर ,सी -स्कीम में एरोमा थेरेपी सेंटर्स मौजूद है।
रोजाना 7 से 10 लोग ले रहे है थेरेपी
इस थेरेपी का इस्तेमाल आज के दौर में काफी बढ़ गया है। कई लोग दवाइयां ना लेकर थेरेपी लेना चाहते है जिस से आजीवन समस्या का हल हो सकें। रोजाना 7 से 10 लोग कई तकलीफों के लिए यह थेरेपी लेने आते है। यह थेरेपी नींद की समस्या ,कमर दर्द ,घुटने के दर्द के लिए काफी लाभदायक है। थेरेपी में कई प्रकार के तेल का इस्तेमाल किया जाता है जो तनाव ,चिंता कम करने में मदद करता है और व्यक्ति शांति और आराम महसूस करता है।
सता रहा सबसे बड़ा रोग…सुंदर, फिट नहीं दिखूंगी तो क्या कहेंगे लोग
बेहतरीन नतीजों के लिए थेरेपी को नियमित रूप से लेना जरूरी होता है ,उसके बाद इसके नतीजे दिखने लगते है। लोगों को सुधार महसूस होता है। इस थेरेपी में कई प्रकार के एरोमा जैसे लैवेंडर ,तुलसी ,जैस्मिन ,हिमालय अरोमोईल का इस्तेमाल किया जाता है। यह नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है। साथ ही इसके कई और फ्यादे भी है सांस संबंधी तकलीफें भी इस थेरेपी से सही होती है। डिप्रेशन को कम करने में भी मददगार साबित होता है।
नितीश बग्गा (अरोमाथेरेपी विशेषज्ञ ,ओनर अरोमा थेरेपी सेंटर )
दिमाग से सारे नकारात्मक विचार हो जाते है गायब
नींद नहीं आने की समस्या सबसे ज्यादा तब होती है जब दिमाग में कई प्रकार के तनाव ,टेंशन चल रहे होते है। बार -बार नकारात्मक ख्याल आते है। इस थेरेपी की मदद से दिमाग व्यक्ति के दिमाग को शांत किया जाता है। विचार ,भावनाएं जिनसे व्यक्ति परेशान होता है उसे से धीरे -धीरे कम किया जाता है। कोरोना के बाद से लोगों में इस थेरेपी का क्रेज बढ़ गया है। रोजना 3 से 4 लोग इस थेरेपी सेशन को ले रहे है।
अस्थियां चुनते समय परिजन को मिली कैंची, पुत्र ने कहा- डॉक्टरों ने सर्जरी के समय पेट में छोड़ी, हरकत में आई सरकार
इस थेरेपी में सिर के प्रेशर पॉइंट्स को आराम दिया जाता है। एक्सेस बार ऊर्जा के 32 बार होते है जो सिर के माध्यम से और उसके चारों ओर चलती हैं जो सभी नकारात्मक विचारों, विश्वासों और निर्णयों से व्यक्ति को मुक्त करने में सहायता करती है। नियमित रूप से थेरेपी लेने से नींद चक्र में काफी सुधार होते है।
डॉ अविशा माथुर (एक्सेस बार थेरेपी विशेषज्ञ )
ऐसे केस आ रहे है सामने
केस 1: एरोमा थेरेपी से डिप्रेशन हुआ कम ,नींद चक्र में हुआ सुधार
गोविंदपुरी निवासी 24 वर्षीय युवती ने बताया कि पारिवारिक कलह और काम -काज के तनाव के कारण उन्हें डिप्रेशन की समस्या हुई थी। नींद आने में भी परेशानी होती थी। काफी समय से वे दवाइयां ले रही थी लेकिन एरोमा थेरेपी लेने के बाद उन्हें काफी सुधार महसूस हुआ। नींद चक्र भी अब सही हो रहा है। तनाव कम होने के साथ मन भी खुश रहने लगा।
केस 2: एक्सेस बार थेरेपी से मिल रहा है फ्यादा
सिविल लाइन्स निवासी 38 वर्षीय महिला ने बताया कि वे काफी समय से एक्सेस बार थेरेपी ले रही है। पारिवारिक कलह के चलते उनकी मानसिक स्थिति सही नहीं रहती थी। उसके बाद उन्होंने दवाइयों के अलावा थेरेपी लेने का निर्णय लिया। अब वे पहले से बेहतर महसूस करती है। वह रोजाना 1 घंटे यह थेरेपी लेती है।
केस 3: पैरों का दर्द हुआ बेहतर
राजा पार्क निवासी 48 वर्षीय पुरुष ने बताया कि कुछ समय पहले उनका एक्सीडेंट हुआ था। एक्सीडेंट के काफी समय बाद भी उनके पैरों में काफी दर्द रहता था। वे लंबे समय से दवाइयां भी ले रहे थे लेकिन एरोमा थेरेपी उनके लिए काफी मददगार साबित हुई। आज उनका घुटने का दर्द काफी बेहतर है।