रेड में खुलासा हुआ कि उत्तरप्रदेश के बरसाना स्थित नगला इमाम खान निवासी असम पुत्र फतेह मोहम्मद राजस्थान के मेवात क्षेत्र में फर्जी सिम सप्लाई कर रहा है। असम को जाल में फंसाने के लिए एक्सपर्ट के जरिए डिकॉय किया। असम में 36 हजार रुपए में दो कंपनी की 30 सिम देने का सौदा तय किया। बाद में आरोपी को जाल बिछाकर पकड़ा तो पता चला उसका आका तो कामां के गडी कीलावती निवासी साजिद उर्फ शाहिद है। आरोपी असम के पास 30 मोबाइल सिम बरामद की गई।
आका साजिद के घर टीम पहुंची तो पता चला कि वह भाग चुका है। घर में उसकी मां मिली। मां ने अंत: वस्त्रों में घर में मौजूद 110 फर्जी सिम छिपा ली। बाद में महिला पुलिस ने सिम बरामद किए। पूछताछ में सामने आया कि साजिद असम और कोलकाता से फर्जी सिम मंगाता है। कई बार उसका भाई साबिर वहां से फर्जी सिम लेकर आता है। साजिद के पकड़े जाने के बाद पता चलेगा कि वह असम व कोलकाता में किस गैंग से फर्जी सिम लेकर आता था।
मेवात के ठगों को सिम पहुंचाता था आरोपी जहीरूल
इधर, अपराध के विरुद्ध पत्रिका के अभियान ऑपरेशन रक्षा कवच में साइबर ठगों के राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय नेटवर्क का खुलासा होने के बाद राजस्थान पुलिस ने जहीरूल को असम से गिरफ्तार किया। जहीरूल असम से तस्करी करके मेवात क्षेत्र में सक्रिय साइबर ठगों को सिम की खेप पहुंचाता है। जहीरूल से पूछताछ में सिम तस्करी के तार सेवा प्रदाता कम्पनियों के रिटेलर्स तक पहुंच गए हैं। पुलिस जहीरूल को गिरफ्तार करके डीग ले आई है। पुलिस को उससे पूछताछ में बांग्लादेश नेटवर्क के खुलासे की भी उम्मीद है।टापुओं में बनाए ठिकाने
ब्रह्मपुत्र नदी में बने विभिन्न टापुओं में जहीरूल ने ठिकाने बना रखें हैं। दुर्गम क्षेत्र में छिपे होने की वजह से उसे दबोधने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। जहीरूल की गिरफ्त्तारी के लिए राजस्थान पुलिस ने असम के गोलपाडा स्थित रामहरी चार्ट थर्ड में घेराबंदी की। असम पुलिस की मदद से पुलिस ने पूरे गांव में जाल बिछाया। अंततः उसे धर दबोचा। पुलिस ने अब उसे डीग की अदालत में पेश करके 2 दिसम्बर तक रिमांड पर लिया है। आरोपी के रैकेट के संबंध में पुलिस अधिकारी उससे पूछताछ करने में जुटे हैं।असम में सिम की व्यवस्था करता था दूसरा गैंग
जहीरूल ने प्रारंभिक पूछताछ में कबूला कि असम निवासी उस्मान और उसका साथी सिम की व्यवस्था करते हैं। उस्मान की गैंग सिम प्रदाता कम्पनियों के रिटेलर्स से मिलीभगत करके सिम एक्टिवेट कराते हैं। एक बार सिम एक्टिवेट होने के बाद उस मोबाइल को बंद कर दिया जाता है। इसके बाद वह मोबाइल तभी ऑन किया जाता है, जब साइबर ठग के हाथ में पहुंच जाता है। इसके बदले में मोटी रकम ली जाती है। उसने कबूला कि डीग में छह माह पहले उसके दो गुर्गे पकड़े गए। इसके बाद उसने बिलाल को साइबर ठगों को सिम बेचने की कमान सौंपी। बिलाल को वह अब तक पांच हजार से अधिक सिम बेच चुका है। यह भी पढ़ें
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तुरंत जागे… शिकायत की, पुलिस का साथ मिला और बच गई जमा पूंजी
साइबर ठग फर्जी बैंक खाते और मोबाइल सिम उपयोग में लेते हैं जिसके कारण उन्हें पकड़ना सा आखन नहीं है। लेकिन जागरूक रहने से ठगी के शिकार होने से बच सकते हैं और शिकार बन भी जाएं तो तुरंत कार्रवाई करने से तगी गई रकम को फ्रीज भी करवा सकते हैं। जिन्होंने कार्रवाई में देरी की उन्होंने नुकसान उठाया और जो सजग रहे उनकी रकम पुलिस ने वापस दिलवाई।26 हजार रकम करवाई फ्रीज
नवम्बर में कसोल गया था, वहां वाट्सऐप पर होटल को रिव्यू देने का संदेश मिला। लिंक खोला तो 1000 रुपए खाते में जमा हो गए। रात को मेरे खाते से 96 हजार रुपए निकल गए। शिकायत दर्ज करवाई तो करीब 26 हजार रुपए ठगों के खाते में फ्रीज हो गए। अब चक्कर लगा रहा हूं।-राहुल शर्मा, शिमला में ठगी
सुनवाई होती तो नहीं होती ठगी
बाजार गया था, तब किसी ने जेब से मोबाइल निकाल लिया। अगले दिन मेल पर 65 हजार रुपए निकलने की जानकारी मिली। बैंक से संपर्क किया तो उन्होंने साइबर ठगी होना बताया और शिकायत दर्ज करवाने को कहा। शिकायत दर्ज करवाई। आज तक पता नहीं चला कि क्या हुआ।-भवानी शेखावत, निवारू रोड
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17 लाख रुपए वापस मिले
साइबर ठगों ने 20 जून को 5 घंटे तक उनको डिजिटल अरेस्ट करके रखा। वीडियो कॉल पर लाइव रहे और ट्राई अधिकारी होना बताया। धमकी देकर एक ऐप डाउनलोड करवाया। बाद में 17 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए। शिकायत दर्ज करने पर जयपुर और मध्यप्रदेश पुलिस से तुरंत मदद मिली तो रकम वापस मिल गई।-तन्वी जैन, महेश नगर