जयपुर। विधानसभा उप चुनावों में कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि चुनाव सभी ने मिलकर लड़ा था फिर भी वे परिणामों की जिम्मेदारी लेते हैं। राजनीति में ‘मीठा -मीठा गप, कड़वा-कड़वा थू’ … ऐसा नहीं चलता। हम हार का विश्लेषण करेंगे, पार्टी संगठन को फिर से चुस्त-दुरुस्त कर सरकार की नाकामियों को जनता के सामने उजागर करेंगे। उपचुनाव परिणामों को लेकर पत्रिका ने गोविंद सिंह डोटासरा से विशेष बातचीत की…
Q. सवाल: लोकसभा चुनाव में 11 सीटें जीतने वाली कांग्रेस उपचुनाव में विफल क्यों रही?
उ. दौसा, झुंझुनूं और देवली-उनियारा में हमारी प्रथम पंक्ति के नेता जो पहले विधायक थे वे सांसद बन गए। सांसदों की राय का सम्मान करते हुए हमें दूसरी पंक्ति से टिकट देना पड़ा। देवली-उनियारा और झुंझुनूं में भाजपा के समर्थन से खड़े हुए बागियों ने नुकसान पहुंचाया। सरकार ने भी संसाधनों का दुरूपयोग कर भाजपा की राह आसान की। रामगढ़ में जुबेर खान के पुत्र को टिकट दिया, लेकिन भाजपा ने ध्रुवीकरण कर मतदाताओं को बांटने का काम किया। खींवसर की स्थिति अलग थी। यहां लोकसभा चुनाव में गठबंधन के कारण हमने आरएलपी को समर्थन दिया। लेकिन 6 माह के भीतर उपचुनाव में मतदाताओं का मन बदलने और उन्हें आरएलपी से वापस लाने में हम कामयाब नहीं हो पाए। चौरासी और सलूम्बर में पार्टी को भितरघात से नुकसान हुआ है, जिसकी हम जांच करवा रहे हैं। वहीं दौसा में हमारे कार्यकर्ताओं ने एक तरह सेे सरकार को हराया। फिर भी मैं मानता हूं कुछ कमियां रही हैं, जिनका हम विश्लेषण कर सुधार करेंगे। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय 9 उपचुनाव में भाजपा सिर्फ 1 राजसमंद की सीट जीत पाई थी। उपचुनाव में लोगों को सरकार से काम की उम्मीद होती है, जिसका लाभ सत्ताधारी दल को मिला।
उ. दौसा, झुंझुनूं और देवली-उनियारा में हमारी प्रथम पंक्ति के नेता जो पहले विधायक थे वे सांसद बन गए। सांसदों की राय का सम्मान करते हुए हमें दूसरी पंक्ति से टिकट देना पड़ा। देवली-उनियारा और झुंझुनूं में भाजपा के समर्थन से खड़े हुए बागियों ने नुकसान पहुंचाया। सरकार ने भी संसाधनों का दुरूपयोग कर भाजपा की राह आसान की। रामगढ़ में जुबेर खान के पुत्र को टिकट दिया, लेकिन भाजपा ने ध्रुवीकरण कर मतदाताओं को बांटने का काम किया। खींवसर की स्थिति अलग थी। यहां लोकसभा चुनाव में गठबंधन के कारण हमने आरएलपी को समर्थन दिया। लेकिन 6 माह के भीतर उपचुनाव में मतदाताओं का मन बदलने और उन्हें आरएलपी से वापस लाने में हम कामयाब नहीं हो पाए। चौरासी और सलूम्बर में पार्टी को भितरघात से नुकसान हुआ है, जिसकी हम जांच करवा रहे हैं। वहीं दौसा में हमारे कार्यकर्ताओं ने एक तरह सेे सरकार को हराया। फिर भी मैं मानता हूं कुछ कमियां रही हैं, जिनका हम विश्लेषण कर सुधार करेंगे। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय 9 उपचुनाव में भाजपा सिर्फ 1 राजसमंद की सीट जीत पाई थी। उपचुनाव में लोगों को सरकार से काम की उम्मीद होती है, जिसका लाभ सत्ताधारी दल को मिला।
Q. उम्मीदवार चयन में कहीं कमी रही या पार्टी बगावत की वजह से हारी?
उ. उम्मीदवार कोर कमेटी की सहमति, सांसदों की अनुशंसा और स्थानीय इकाई की राय से तय किए गए। किसी नेता को कोई एतराज नहीं था। हम सफल नहीं हुए वो अलग बात है।
उ. उम्मीदवार कोर कमेटी की सहमति, सांसदों की अनुशंसा और स्थानीय इकाई की राय से तय किए गए। किसी नेता को कोई एतराज नहीं था। हम सफल नहीं हुए वो अलग बात है।
Q. उपचुनाव में हार के लिए जिम्मेदार किसे मानते हैं? क्या बागियों की किसी ने मदद की?
उ. भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग, ध्रुवीकरण और धनबल के बूते चुनाव लड़ा। बागियों को फंडिंग और सौदेबाजी करके समीकरण बिगाड़े। इसलिए नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते परिणाम की जिम्मेदारी मेरी है। एक सीट का सोशल मीडिया पर पोस्ट करके जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता।
उ. भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग, ध्रुवीकरण और धनबल के बूते चुनाव लड़ा। बागियों को फंडिंग और सौदेबाजी करके समीकरण बिगाड़े। इसलिए नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते परिणाम की जिम्मेदारी मेरी है। एक सीट का सोशल मीडिया पर पोस्ट करके जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता।
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Q. क्या कांग्रेस के प्रचार में कहीं कमी रही। बड़े नेताओं के दौरे भी कम हुए।उ. चुनाव प्रभारी और प्रत्याशियों ने जिस भी नेता को प्रचार के लिए बुलाया वो गए। प्रदेश के सभी बड़े नेताओं ने प्रत्याशियों की मांग अनुसार रैलियां की, स्वयं मैंने भी 5 जगह प्रचार किया।