Jaipur LPG Tanker Blast: साल 2024 जाते हुए ऐसा दर्द दे गया जो राजधानी के लिए काला इतिहास बन गया। करीब 14 लोगों की जान चली गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए, 50 से ज्यादा वाहन जल गए, लेकिन वहां मौके पर कोई किसी की सुनने वाला नहीं था। पत्रिका संवाददाता ने जब घटना स्थल की रियलिटी चैक की तो चौंकाने वाली बात सामने आई।
आग का वह भयावह मंजर देखकर हर किसी का दिल दहल गया। उस खौफनाक मंजर को देख लोगों की रूह कांप गई। लोग वाहनों में फंसे बचाव के लिए चिल्ला रहे थे, वहीं दूसरी ओर आग से जले तड़प रहे थे। ऐसी स्थिति में बहुत से लोग ऐसे थे जो अपनी सहायता के लिए पुकार रहे थे।
लोगों ने सड़क किनारे लगे टेलीफोन (एसओएस) बूथ देखे तो उन्हें सहायता की एक उम्मीद जगी, लेकिन जब वे वहां पहुंचे तो उनके खराब होने से मायूस हुए। जाम में फंसे लोगों को जैसे ही घटना स्थल के पास इमरजेंसी कॉल बूथ दिखा तो वे उसकी और दौड़ पड़े, उसमें लगे बटन को वे लोग दबाते रहे, लेकिन कोई कॉल नहीं लगी।
फोटो- भांकरोटा अजमेर रोड पर 200 फुट बाईपास से भांकरोटा थाना के पास हादसा स्थल तक करीब 5 किलोमीटर के क्षेत्र में सड़क के दोनों और तीन एसओएस बूथ लगे हुए हैं तीनों ही बूथ खराब हैं।
कल भांकरोटा में हुए अग्रिकांड के बाद लोग सहायता के लिए इन बूथों पर बटन दबाते दिखे, लेकिन ये सभी बूथ खराब थे। इसके बाद हमने भी इसकी रियलिटी चैक की। हैरानी की बात ये है कि इतने भयावह हादसे के बाद अगले दिन तक भी ये एसओएस बंद ही थे।
यहां लगे हैं एसओएस बूथ
हादसा स्थल के पास पांच किलोमीटर के एरिया में 200 फुट बाईपास के पास, कमला नेहरू पुलिया के पास और भांकरोटा में एसओएस बूथ हाइवे पर लगा हुआ है।
बूथ से पहले साइन बोर्ड भी
एसओएस बूथ के लिए हाइवे पर बड़े-बड़े साइन बोर्ड भी लगे हैं, जिससे लोगों को टेलीफोन बूथ का पता चल सके, लेकिन बूथ किसी काम के नहीं हैं।
फोटो- कमला नेहरू पुलिया
किस काम आता है एसओएस
जैसे-जैसे देश में हाईवे की संख्या बढ़ रही है वैसे ही हाईवे पर हादसों का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में इमरजेंसी के वक्त अगर आपको पुलिस, हॉस्पिटल या किसी प्रकार की मदद के लिए संपर्क करना हो तो ये काम आते हैं। सड़क पर यात्रियों के लिए यह बॉक्स मददगार साबित होता है। आपातकालीन स्थिति में इसके द्वारा कोई व्यक्ति राजमार्ग नियंत्रण कक्ष से सीधे बात कर सकता है। लेकिन अजमेर रोड पर कल हुए अग्रिकांड के एरिया में ये सब खराब पड़े थे।
यह भी पढ़ें : सिर से चिपक गया हेलमेट, बाइक हो गई राख, रोते हुए रमेश ने कहा- हमें बचा लो, हम मर जाएंगे नेशनल हाईवे अथॉरिटी की गाइडलाइन्स के अनुसार हाईवे पर हर 1 या 2 किलोमीटर पर एक एसओएस बॉक्स लगा होता है इमरजेंसी के समय हाईवे हेल्प टीम को दुर्घटना की जानकारी पहुंचा प्राथमिक उपचार के लिए मदद मांगने के लिए इन बॉक्स को लगाया जाता है।
फोटो- 200 फीट बाईपास बॉक्स पर आपातकालीन कॉल बटन होता है जिसे उपयोगकर्ता के पुश करने पर कंट्रोल रूम में कॉल लग जाती है। जिससे वे पेट्रोलिंग करने वाले वाहनों और एंबुलेंस को भी घटना स्थल पर भेज सकते हैं।
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