दरअसल, रेलवे अपनी सुरक्षा और संरक्षा को लेकर लगातार काम कर रहा है। इसके तहत जयपुर मंडल में ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली का कार्य चल रहा है। वर्तमान में कानोता से हिरनोदा के बीच यह काम पूरा हो चुका है। इससे पहले, यह कार्य गांधीनगर से जयपुर जंक्शन तक 5.39 किमी और जयपुर जंक्शन से कनकपुरा तक 8.94 किमी दूरी पर किया जा चुका था। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि मदार से कानोता के बीच महज 30 किलोमीटर का काम शेष था, जो जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
बेहतर संचालन और स्पीड
इस नई तकनीक के लागू होने के बाद, ट्रेनों को अब अगले स्टेशन तक पहुंचने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ट्रेनें मेट्रो की तरह एक के बाद एक दौड़ सकेंगी। इसके अलावा, जयपुर जंक्शन, गांधीनगर, और कनकपुरा स्टेशनों पर भी आउटर पर खड़ा होने की आवश्यकता नहीं होगी। इस सुधार से न केवल ट्रेनों की गति में वृद्धि होगी, बल्कि यात्रियों का समय और रेलवे का ईंधन दोनों की बचत भी होगी। यह भी पढ़ें
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ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम कैसे काम करता है?
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम यानी स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली में दो स्टेशनों के बीच हर एक किलोमीटर की दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं। नई व्यवस्था में, स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे प्रत्येक एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाए जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, सिग्नल की मदद से ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी। अगर किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में कोई तकनीकी खामी आती है, तो पीछे चल रही ट्रेनों को तुरंत सूचना मिल जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जिन ट्रेनों को रोकने की जरूरत होती है, वे वहीं रुक जाएं और कोई भी दुर्घटना न हो।