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Athlete Sundar Gurjar Success Story: पैरिस पैरालंपिक कांस्य पदक विजेता सुंदर गुर्जर के कोच महावीर सैनी ने दिया खेल में जीत का मंत्र, बताया कैसे मिली सफलता

सैनी ने कहा कि पैरालंपिक में पदक के लिए सुंदर ने दिन-रात एक कर दिए थे। एक खिलाड़ी पूरे जीवन में चाहे कितनी ही प्रतियोगिताएं जीत ले परन्तु खेलों के महाकुंभ की बात ही अलग होती है।

जयपुरSep 08, 2024 / 10:29 am

Alfiya Khan

जयपुर। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी विश्व के हर कोने में खेलते हैं और परन्तु जहां बात ओलंपिक की हो तो वहां पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है और इसके लिए वह 4 साल कड़ी मेहनत करते हैं। ओलंपिक का दबाव अलग तरह का ही होता है यह हम हाल ही सम्पन्न पेरिस ओलंपिक में देख चुके हैं।
बड़े से बड़े दिग्गज फाइनल मुकाबले में डगमगा जाते हैं। मेरा मानना है कि सुंदर गुर्जर ने टोक्यो पैरालंपिक के बाद पेरिस पैरालंपिक में देश को कांस्य पदक दिलाया और यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि एक ओलंपिक से दूसरे ओलंपिक तक अपने आपको फिट रखना असंभव सा कार्य है जिसे सुंदर ने कर दिखाया। पैरालंपिक में कांस्य विजेता सुंदर गुर्जर (जेवलिन थ्रोअर) के कोच द्रोणाचार्य अवार्डी राजस्थान के महावीर सैनी ने पेरिस से पत्रिका संवाददाता ललित पी. शर्मा से विशेष बातचीत में यह बात कही।
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मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी

सैनी ने कहा कि पैरालंपिक में पदक के लिए सुंदर ने दिन-रात एक कर दिए थे। एक खिलाड़ी पूरे जीवन में चाहे कितनी ही प्रतियोगिताएं जीत ले परन्तु खेलों के महाकुंभ की बात ही अलग होती है। यहां विश्व के दिग्गज एथलीटों से सामना होता है। एक-एक अंक की लड़ाई होती है। जरा-सी गलती आप को पदक की दौड़ से बाहर कर सकती है। क्यूबा से गोंजालेज ने पहला थ्रो बहुत ही अच्छा किया। उसके बाद सुंदर का थ्रो भी अच्छा था। उस समय तक अजीत उससे पीछे था। लेकिन अगले थ्रो में यह ज्यादा अंक ले गया लेकिन खुशी की बात भारत ने एक इवेंट में वो पदक जीते।

यह कांस्य कई बातें सिखा गया

महावीर ने कहा कि लगातार ट्रेनिंग और कैंप के कारण परिवार से मिले काफी अर्सा हो जाता है। ऐसे में खिलाड़ी को बहुत कुछ त्याग और समर्पण करना होता है। हम पेरिस स्वर्ण की तैयारी के साथ ही गए थे और सुंदर का प्रदर्शन भी सही था पर कहते ना कि वह दिन सुंदर का नहीं था वर्ना इससे पूर्व के अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में सुंदर ने शानदार प्रदर्शन किया और स्वर्ण जीते हैं। मैं यही कहूंगा कि अभी बहुत कुछ बाकी है।
हम निराश नहीं हैं बल्कि हम अगले मुकाबलों के लिए तैयार है और सुंदर अगले ओलंपिक जरूर स्वर्ण पदक जीतेगा। इस बार का कांस्य हमें यह सिखा गया कि हमें अगली बार और अच्छी तैयारी करनी है जिससे हम अपने पदक का रंग बदल सकें।

अगली बार बदलेंगे पदक का रंग

सैनी ने कहा कि हमने पूर्व के पैरालंपिक से बहुत सीख ली। टोक्यों से पूर्व के रियो पैरालंपिक में हमें समय ने मात दी थी और कुछ सेकंड की देरी के कारण हम टूर्नामेंट से ही आउट हो गया परन्तु इस बार हमने हर काम टाइम के साथ किया। मैंने इवेंट से पूर्व सुंदर से यही कहा कि तुम्हें बिलकुल हड़बड़ी नहीं करनी है।
बिलकुल शांत मन से ज्वैलिन थ्रो करना है। दूरी कोई बात दिमाग नहीं रखनी है। क्यूबा के एथलीट का थ्रो काफी अच्छा था उसके बाद सुंदर ने भी अपना बेस्ट दिया। हमें खुशी है कि हम खाली हाथ वापस नहीं आए। मैं दावे से कह सकता हूं कि अगले पैरालंपिक में हम पदक का रंग जरूर बदलेंगे।
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