इन परीक्षार्थियों ने लाइब्रेरियन प्रतियोगी परीक्षा दी तो लाइब्रेरियन कोर्स की डिग्री लगा दी, वहीं पीटीआई और फायरमैन परीक्षा दी तो उसकी डिग्री या अनुभव लगा दिया या फिर अन्य परीक्षा से संबंधित डिग्री लगा दी। पेपर लीक के वांटेड सुरेश ढाका व भूपेन्द्र सारण के ठिकानों पर सर्च में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री मिलना भी बताया जाता है।
कई बेरोजगारों ने बताया कि कई परीक्षार्थी तो ऐसे हैं, जिनका अलग-अलग डिग्री की आर्हता वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में चयन हो गया। ऐसे अभ्यर्थी पांच से सात प्रतियोगी परीक्षाओं में पहुंचे, इनकी डिग्री की भी जांच होनी चाहिए।
एसओजी की गिरफ्त में आए पेपर लीक गिरोह के मास्टर माइंड जगदीश बिश्नोई, शिक्षक राजेन्द्र यादव, पटवारी हर्षवर्धन मीणा, लाइब्रेरियन शिवरतन मोट सहित अन्य सदस्य और लीक पेपर से थानेदार बने आरोपियों से पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं। एसओजी पड़ताल में सामने आया है कि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का पेपर परीक्षा से पहले लेने और परीक्षार्थियों तक पहुंचाने तक तीन से चार बार आपस में संपर्क किया जाता था। उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक में करीब ढाई माह पहले पेपर खरीदने वाले परीक्षार्थियों का चयन शुरू कर दिया था। जो परीक्षार्थी पेपर 10 से 25 लाख रुपए में लेने के लिए तैयार हो गए, उन्हें बाद में गिरोह की तरफ से ही संपर्क करने के लिए कहा गया।
गिरोह प्रतियोगी परीक्षा से पहले पेपर बाहर निकलवाने की पूरी सांठ-गांठ कर लेता, तब परीक्षार्थियों से संपर्क कर उन्हें परीक्षा से पहले तैयार रहने के लिए कहा जाता। परीक्षार्थियों को प्रवेश पत्र जारी किए जाते, तब गिरोह परीक्षार्थी से संपर्क कर परीक्षा सेंटर कहां आया, वहां परीक्षार्थी कब पहुंचेगा व किसके साथ जाएगा, कहां ठहरेगा यह सब जानकारी लेता। उन स्थानों पर गिरोह के सदस्यों को पहले ही भेज दिया जाता और परीक्षा से पहले गिरोह के सदस्यों को पेपर भेजकर परीक्षार्थी को सॉल्व पेपर पढ़ा दिया जाता। उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा में पेपर लेने वाले थानेदारों ने पूछताछ में इसकी जानकारी दी।