पद्मिनी एकादशी की पूजा विधि
सुबह स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु का ध्यान व प्रार्थना करते व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजाघर में विष्णुजी की मूर्ति या तस्वीर को पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. घी का दीपक जलाकर, तिलक लगाएं, सफेद फूल चढ़ाएं, भगवान को भोग लगाएं और तुलसी का पत्ता भी अर्पित करें। इसके बाद भगवान के स्तोत्र और मंत्रों का जप करें। आरती उतारकर अपनी भूलों के लिए क्षमा मांगे व मनोकामना व्यक्त करें. गरीब व जरूरतमंद लोगों को दान दें। रात में भजन-कीर्तन करें और दूसरे दिन द्वादशी तिथि को गरीबों को भोजन करवाएं या दान दें।
सुबह स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु का ध्यान व प्रार्थना करते व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजाघर में विष्णुजी की मूर्ति या तस्वीर को पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. घी का दीपक जलाकर, तिलक लगाएं, सफेद फूल चढ़ाएं, भगवान को भोग लगाएं और तुलसी का पत्ता भी अर्पित करें। इसके बाद भगवान के स्तोत्र और मंत्रों का जप करें। आरती उतारकर अपनी भूलों के लिए क्षमा मांगे व मनोकामना व्यक्त करें. गरीब व जरूरतमंद लोगों को दान दें। रात में भजन-कीर्तन करें और दूसरे दिन द्वादशी तिथि को गरीबों को भोजन करवाएं या दान दें।
पद्मिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 26 सितंबर शाम 7 बजे से।
एकादशी समाप्त: 27 सितंबर शाम 7 बजकर 47 मिनट तक।
पारण का समय: 28 सितंबर सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 26 मिनट तक।
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 26 सितंबर शाम 7 बजे से।
एकादशी समाप्त: 27 सितंबर शाम 7 बजकर 47 मिनट तक।
पारण का समय: 28 सितंबर सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 26 मिनट तक।