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VIDEO: गैंगस्टर आनंदपाल के वकील ने की थी राजपूतों की पैरवी, फिल्म बैन को लेकर काम नहीं आईं ये 6 बड़ी दलीलें

Padmaavat movie release LIVE updates: राजपूतों की ओर से अधिवक्ता एपी सिंह ने पैरवी की थी। गैंगस्टर आनंदपाल मामले में आनंदपाल पक्ष की पैरवी कर चुके हैं

जयपुरJan 24, 2018 / 02:51 pm

Nakul Devarshi

जयपुर।
25 जनवरी को देश भर में रिलीज़ हो रही फिल्म पद्मावत बीते कुछ दिनों से ज़्यादा सुर्ख़ियों में बनी हुई है। राजस्थान में वितरकों ने फिल्म चलाने को लेकर हाथ पीछे खींच लिए हैं, लिहाज़ा देश भर में रिलीज़ होने के बाद भी प्रदेश में इसके प्रदर्शन को लेकर संशय बना हुआ है। फिल्म को बैन किये जाने को लेकर राजपूत समाज की तमाम कोशिशें विफल साबित हुई हैं। राजपूतों की ओर से जाने-माने अधिवक्ता एपी सिंह ने पैरवी की थी। सिंह ने शीर्ष अदालत में करणी सेना और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की ओर से फिल्म को बैन करने की पैरवी की। गौरतलब है कि एपी सिंह इससे पहले राजस्थान के गैंगस्टर आनंदपाल मामले में आनंदपाल पक्ष की पैरवी कर चुके हैं।

एपी सिंह ने ये रखी थी दलीलें
फिल्म को राजस्थान में बैन करवाने की गुहार लेकर राजपूत समाज ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की थी। राजपूतों की ओर से जाने-माने अधिवक्ता एपी सिंह ने पैरवी की थी। राजूपत समाज का पक्ष रखते हुए सिंह ने ये मुख्य दलीलें देकर बैन लगाने की अपील की थी। सिंह ने अदालत से फिल्म रिलीज़ करने के सम्बन्ध में पहले दिए आदेश पर पुनर्विचार कर इसे बैन लगाने की अपील की।
 

1. – फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ ही नहीं बल्कि तथ्यों के साथ खिलवाड़ किया गया है।
2. – सिनेमाटोग्राफी एक्ट में ये प्रावधान है कि यदि किसी फिल्म के प्रदर्शन से प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगड़ती हैं और सरकार से व्यवस्थाएं नहीं संभल पातीं हैं तो उसे बैन किया जा सकता है।
3. – तमिलनाडु के परम्परागत खेल जल्लीकट्टू को यदि लोगों की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना पहले दिया आदेश वापस ले सकती है तो फिल्म पद्मावत पर ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा?
4. – कोई नहीं चाहता कि अशांति फैले, लेकिन इतिहास के साथ यदि खिलवाड़ होता है और उससे किसी समाज विशेष की भावनाएं आहात होतीं हैं तो ऐसी स्थिति आ सकती है।
5. – फिल्म पद्मावत इतिहास से बिलकुल अलग है। इसमें अलाउद्दीन खिलजी को हीरो बताया जा रहा है, जो कि देश के लिए एक विलन रहा है। खिलजी का ऐसा चित्रण किसी भी सूरत पर बर्दाश्त किये जाने लायक नहीं है।
6. – फिल्म को दिल्ली और बनारस यूनिवर्सिटी से जुड़े इतिहासकार भी सिरे से खारिज कर चुके हैं। वे मानते हैं कि फिल्म में दिखाया जा रहा चित्रण मूल इतिहास से परे है।
 

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एमपी-राजस्थान सरकार की याचिकाएं हुईं थी खारिज
संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज पर राज्यों के बैन लगाने के रोक के आदेश में बदलाव के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दोनों राज्यों ने इस मामले में पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा था कि फिल्म रिलीज होने से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। राजस्थान सरकार की ओर से मौजूद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा था कि ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मुझे फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की इजाजत दे दी जाए, मैंने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व अंतरिम आदेश में कुछ संशोधन के लिए आग्रह किया था।’
 

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आनंदपाल प्रकरण में आरोपी भी हैं सिंह
फिल्म पद्मावत में राजपूत समाज की पैरवी करने वाले एपी सिंह आनंदपाल प्रकरण से जुड़े एक मामले में आरोपित भी हैं। 24 जुलाई को सांवराद में आयोजित श्रदांजली सभा के बाद राजपूत नेताओं के भड़काऊ भाषण दिए जाने के बाद हुई तोड़फोड़, मारपीट और पुलिस के हथियार लूट, जानलेवा हमला, नागौर एसपी की सरकारी गाड़ी जलाने, प्रोबेशनल आईपीएस मोनिका सेन के साथ मारपीट व छेड़छाड़ मामले में जसंवतगढ़ थाने के उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया गया था। उनके साथ ही उस मामले में राजपूत नेता सुखदेव सिंह गोगामेड़ी, आनंदपाल की बेटी चीनू, हनुमान सिंह खांगट, महीपाल सिंह, योगेन्द्र कटार, दुर्ग सिंह, रणजीत सिंह मांगडोली, रणजीत सिंह गेडिया, रणवीर सिंह गूढ़ा व अन्य समेत करीब बारह हजार लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में केस दर्ज करवाया गया था।

… इधर, चित्तौडग़ढ़ दुर्ग पूरी तरह सील
राजस्थान में संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के खिलाफ राजपूत महिलाओं की जौहर की चेतावनी को देखते हुए चित्तौडग़ढ़ दुर्ग के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं। पुलिस ने सुबह से ही भारी पुलिस के पहरे के बीच लोगों के दुर्ग में आने-जाने पर रोक लगा दी।
पुलिस ने दुर्ग में प्रवेश के लिए पहुंची राजपूत महिलाओं को हाथ जोड़कर रोका और अंदर नहीं जाने दिया। इस पर राजपूत पुरुषों एवं महिलाओं ने मौके पर ही नारेबाजी शुरू कर दी लेकिन बाद में वे वहां से चली गई। इसके बाद से लगातार रुक रुककर प्रदर्शन हो रहे हैं।
पुलिस जौहर के लिए आने वाली महिलाओं को हिरासत में लेने की बात पर हालांकि कोई जवाब नहीं दे रही है लेकिन किसी भी दर्शनार्थी को अन्दर नहीं जाने दिया जा रहा है, इससे चित्तौडग़ढ़ को बाहर से देखने आने वाले पर्यटकों को भी निराश होकर लौटना पड़ रहा है।

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