सर्दी में देरी से रूठे प्रवासी मेहमान
राजधानी जयपुर स्थित जलमहल पर इस बार मेहमान परिंदों की संख्या लगभग कम है। कई प्रवासी पक्षी तो ऐसे हैं जो यहां आए और अपना रुख कहीं और का कर लिया जबकि यहां देशी और विदेशी ना केवल पर्यटकों बल्कि पक्षी प्रेमियों के लिए भी हमेशा आकर्षण का केंद्र रहते हैं।
सर्दी में देरी से रूठे प्रवासी मेहमान
राखी हजेला
राजधानी जयपुर स्थित जलमहल पर इस बार मेहमान परिंदों की संख्या लगभग कम है। कई प्रवासी पक्षी तो ऐसे हैं जो यहां आए और अपना रुख कहीं और का कर लिया जबकि यहां देशी और विदेशी ना केवल पर्यटकों बल्कि पक्षी प्रेमियों के लिए भी हमेशा आकर्षण का केंद्र रहते हैं। यहां रंग.बिरंगे विदेशी पक्षियों का विहार देखना पर्यटकों को सुखद अनुभूति देता है, पक्षी हैं लेकिन इस बार इनकी संख्या कम है। पक्षी विशेषज्ञ मौसम में हो रहे बदलाव और सर्दी का मौसम देर से शुरू होना इसकी वजह मान रहे हैं।
सुदूर देशों से आते हैं पक्षी
गौरतलब है कि हर साल अक्टूबर में हिमालय पार मध्य एशिया, चीन,रूस, तिब्बत,भूटान, अफगानिस्तान और साइबेरिया से कई प्रजातियों के पक्षी आकर जलमहल में अपना बसेरा बनाते हैं। चार से पांच महीने रहने के बाद माच.र्अप्रैल में गर्मियां शुरू होते ही यह फिर अपने वतन लौट जाते हैं। ठंडे देशों में बर्फ गिरती है तो तालाब, नदी जमने लगती है। तब यह पक्षी भारत की ओर रुख करते हैं। मानसागर इस परिंदों का मुख्य ठिकाना रहता है। मछली, घोंघे और हरी घास इनका भोजन है।
पानी में उतरे और चले गए पक्षी
पक्षी विशेषज्ञों की माने तो यह परिंदे इस बार अगस्त और सितंबर में ही यहां आ गए थे। आए पानी में उतरे और कुछ दिन बाद ही अपना ठिकाना बदल गया बरखेड़ा और चंदलाई पंहुच गए। कुछ समय वहां बिताने के बाद इस बार इन परिंदों ने साउथ का रुख कर लिया है। जलमहल ही नहीं अन्य वॉटर बॉडीज जैसे चंदलाई और बरखेड़ा में भी इस बार पिछले साल की तुलना में पक्षी कम आए हैं।
इन परिंदों का है इंतजार
पक्षी प्रेमियों को इस बार मानसागर या जलमहल में नॉर्दन शॉवलर, यूरेशियन विजन, कॉमन पोचार्ड, रूडी शेल डक, बार हैडेड गूज, गुगराल, यूरेशियन स्पेनबिल, सी गुल्स,ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, वारहेडेड गीज, प्रिंटेल, सवन, पेंटेड स्टोर्क, लार्ज, येलो वैगटेल,स्पॉट बिल डक, डार्टर आदि का इंतजार है जो हर साल यहां पर आती हैं लेकिन इस बार इनके दीदार जलमहल में नहीं हो रहे हैं। ऐसे में इनकी एक झलक देखने आए लोगों को घंटों इंतजार के बाद भी वापस लौटना पड़ रहा है। फिलहाल यहां पक्षी पे्रमी कॉमन टील, कॉरमोरेंट, यूरोपियन कॉलर डव, हाउस स्पेरो, इंडियन कॉरमोरेंट, लिटिल कॉरमोरेंट, पॉण्ड हेरोन, ग्रे हेरोन, आदि ही देख पा रहे हैं।
इनका कहना है
पिछले 20 सालों से भी अधिक समय से पक्षियों को अपने कैमरे में कैद कर रहे पक्षी विशेषज्ञ और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर किशन मीणा और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशा का कहना है कि पर्यावरण में लगातार हो रहा अंसतुलन इसके लिए जिम्मेदार है। इस बार अब तक सर्दी पडऩा शुरू नहीं हुई है इसी वजह से पक्षी यहां नजर नहीं आ रहे हैं।
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