गाय का गोबर अब हमारे जीवन में रंग भी बिखेरेगा, यानि की अब इस गोबर का उपयोग हमारे घर और भवनों की दीवारों की रंगाई—पुताई के लिए भी किया जाएगा। यह कमाल किया है खादी और ग्रामोद्योग आयोग राजस्थान के जयपुर स्थित कुमारप्पा राष्ट्रीय हाथ कागज संस्थान के विशेषज्ञों ने, जिन्होंने गाय के गोबर से पेन्ट तैयार किया है और उसे नाम दिया हैं ‘आर्गेनिक वैदिक पेन्ट’। यह पेन्ट ना सिर्फ मानव जीवन के लिए हानि रहित है बल्कि पर्यावरण के भी अनुकूल और बाजार में सबसे सस्ता भी।
जयपुर स्थित कुमारप्पा राष्ट्रीय हाथ कागज संस्थान के विशेषज्ञ पिछले कई समय से गाय के गोबर से कागज व अन्य चीजों को बना रहे थे। उन्होंने शुरूआती अनुसंधान में पाया कि गोबर से पेन्ट बनाया जा सकता है और वो भी हानिकारक रहित रसायनों के उपयोग से। यह पेन्ट घर और भवनों की रंगाई—पुताई के अलावा सभी तरह की लकड़ियों व लोहों पर किया जा सकता हैं।
गोशाला और स्टार्ट अप के लिए
गाय के गोबर से पेन्ट बनाने का काम खासकर गोशाला और नए उद्यमियों के लिए एक स्टार्ट अप के रुप में बहुत बड़ी उपलब्धि हैं, क्योंकि यह ना सिर्फ बाजार में बिक रहे नामी कंपनियों के पेन्ट से सस्ता भी हैं और हानिरहित भी। जिससे गोशालाओं की आर्थिक स्थिति भी सुधर पाएगी।
गाय के गोबर से पेन्ट बनाने का काम खासकर गोशाला और नए उद्यमियों के लिए एक स्टार्ट अप के रुप में बहुत बड़ी उपलब्धि हैं, क्योंकि यह ना सिर्फ बाजार में बिक रहे नामी कंपनियों के पेन्ट से सस्ता भी हैं और हानिरहित भी। जिससे गोशालाओं की आर्थिक स्थिति भी सुधर पाएगी।
बनाने की प्रक्रिया
प्राकृतिक पिगमेंट और मिलाकर रंग बनाने की प्रक्रिया से इसे तैयार किया जाता है। इसके लिए आर्गेनिक वाइन्डर का उपयोग कर इसकी बन्धन प्रक्रिया को मजबूत किया जाता है। फिर इसमें अलग अलग आवश्यकतानुसार रंग मिलाया जाता है। अभी इसकी पैकिंग 2 से लेकर 30 लीटर तक की तैयार की गई है। 100 किलो गोबर से 35—40 किलो पेन्ट तैयार किया जा सकता है। अगर किसी गोशाला में 300 गाये हैं तो वह रोजाना करीब 700 किलो गोबर देती हैं। इस हिसाब से अगर रोजाना 500 किलो गोबर से करीब 200 किलो पेन्ट बनाया जा सकता हैं।
प्राकृतिक पिगमेंट और मिलाकर रंग बनाने की प्रक्रिया से इसे तैयार किया जाता है। इसके लिए आर्गेनिक वाइन्डर का उपयोग कर इसकी बन्धन प्रक्रिया को मजबूत किया जाता है। फिर इसमें अलग अलग आवश्यकतानुसार रंग मिलाया जाता है। अभी इसकी पैकिंग 2 से लेकर 30 लीटर तक की तैयार की गई है। 100 किलो गोबर से 35—40 किलो पेन्ट तैयार किया जा सकता है। अगर किसी गोशाला में 300 गाये हैं तो वह रोजाना करीब 700 किलो गोबर देती हैं। इस हिसाब से अगर रोजाना 500 किलो गोबर से करीब 200 किलो पेन्ट बनाया जा सकता हैं।
राष्ट्रीय मानकों पर खरा
संस्थान की ओर से तैयार किया गया यह पेन्ट राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप भी हैं। संस्थान की ओर से इस पेन्ट की थिकनेस, स्मूथनेस और ब्रश पर चलने जैसे तमाम मापदंडों के लिए राष्ट्रीय स्तर की सरकारी व प्रतिष्ठित निजी लैब में इसका परीक्षण हो चुका हैं। जहां सभी मानकों पर खरा उतरा हैं और बाजार में बिक्री के लिए तैयार हैं।
फैक्ट फाइल …भारत में पशुधन
भारत की पशुधन आबादी 2012 की तुलना में 4.6% से बढ़कर 53 करोड़ 57.8 लाख हो गई हैं। भारत में बीते पांच सालों में गायों की संख्या 18 प्रतिशत बढ़कर 14.51 करोड़ हो गई हैं। यानि की मादा मवेशी (गायों की कुल संख्या) 145.12 मिलियन आंकी गई है।
भारत की पशुधन आबादी 2012 की तुलना में 4.6% से बढ़कर 53 करोड़ 57.8 लाख हो गई हैं। भारत में बीते पांच सालों में गायों की संख्या 18 प्रतिशत बढ़कर 14.51 करोड़ हो गई हैं। यानि की मादा मवेशी (गायों की कुल संख्या) 145.12 मिलियन आंकी गई है।
गोबर का पेन्ट बनाना संस्थान का क्रांतिकारी कदम हैं। यह गोशालाओं की आय बढ़ाने के साथ—साथ कोरोना काल में उद्योग का एक नया विकल्प भी तैयार होगा। – बद्रीलाल मीणा, राज्य निदेशक, खादी व ग्रामोद्योग आयोग