खास बात है कि पहली बार पांच बार ग्रीन कोरिडोर बनाया गया है। जानकारी के अनुसार मृतक विनीत पेशे से हलवाई था। वह 14 नवंबर को दोपहर में अलवर में चलते हुए अचानक गिर गया। परिजन उन्हें समीप एक निजी नर्सिंग होम लेकर गए। वहां से उन्हें एक निजी अस्पताल में रैफर कर दिया। हालत ज्यादा गंभीर होने पर उन्हें अलवर से जयपुर के एक निजी अस्पताल में रैफर कर दिया गया। जहां उनकी हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती रही। 22 नवंबर को चिकित्सकों ने विनीत को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। चिकित्सकों की समझाइश पर मृतक के परिजनों ने अंगदान की सहमति दे दी।
जिसके बाद स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन राजस्थान (सोटो) ने अंगों का आवंटन किया। जिसमें एक किडनी सवाई मानसिंह अस्पताल, दूसरी एक किडनी, लीवर को भी एक-एक निजी अस्पताल को आवंटित किए गए। इसके अलावा प्रदेश में लंग्स प्रत्यारोपण के लिए मरीज उपलब्ध नहीं होने से लंग्स का आवंटन सिकन्दराबाद के एक निजी अस्पताल को आवंटित किया गया। बताया जा रहा है कि यह राजस्थान का 54वां अंगदान है।
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भेजे अंग
सोटो राजस्थान के द्वारा पहली बार अंग भेजने के लिए ट्रैफिक पुलिस की मदद से पांच बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। जिसमें लंग्स को लेने के लिए सिकन्दराबाद से एयर एंबुलेंस के माध्यम से चिकित्सकों की टीम जयपुर पहुंची थी। उसकी आवाजाही के दौरान ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। साथ ही एसएमएस अस्पताल से भी टीम के आवाजाही के दौरान ग्रीन कोरिडोर बनाया गया। इनके अलावा निजी अस्पतालों में भी अंग ग्रीन कोरिडोर बनाकर ही भेजे गए। चिकित्सकों ने बताया कि इन अंगों को मरीजों को प्रत्यारोपित कर दिया गया।