पाइलिंग मशीन मंगवाई
बता दें कि बोरवेल में जिंदगी की जंग लड़ रही 3 साल की मासूम चेतना को 47 घंटे बीतने के बाद भी नहीं निकाला जा सका है। पिछले 47 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन कर रही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के प्रथम प्रयास कारगर नहीं होने के बाद पाइलिंग मशीन मंगवाई गई है, जो की अल सुबह मौके पर पहुंची, जिसके बाद पाइलिंग मशीन से पैरेलल सुरंग बनाकर रेस्क्यू कर चेतना को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। पाइलिंग मशीन में जेसीबी के जरिए बोरवेल के पैरेलल सुरंग बनाकर बच्ची तक पहुंचाने के प्रयास किया जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एनडीआरएफ की टीम का जो रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था, उसे भी जारी रखा जा रहा है। उपखंड अधिकारी बृजेश चौधरी का कहना है कि दोनों में से जो भी ऑपरेशन पहले सफल हो जाएगा उसी के जरिए बच्ची को बाहर निकल जाएगा।
चिकित्सकों की टीम भी तैनात
मौके पर चिकित्सकों की टीम भी तैनात की गई है। बोरवेल में ऑक्सीजन सप्लाई लगातार जारी है। कैमरे में फिलहाल बच्ची के शरीर में कोई मूवमेंट नजर नहीं आ रहा है। जैसे-जैसे रेस्क्यू ऑपरेशन में समय लग रहा है। वैसे-वैसे मौके पर मौजूद प्रशासन के आला अधिकारी, रेस्क्यू टीम तथा परिजनों की चिंता बढ़ने लगी है। दरअसल पिछले 47 घंटे से भूखी-प्यासी बच्ची बोरवेल में फंसी हुई है। ग्रामीण व मौके पर मौजूद सभी लोग ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि बच्ची को सकुशल बाहर निकाल लिया जाए।
150 फीट पर फंसी थी बच्ची
बता दें कि बालिका चेतना घर के बाहर खोदे गए 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर कर 150 फीट पर जाकर फंस गई थी। वहीं, सीसीटीवी कैमरे में बच्ची द्वारा कोई हरकत या हलचल नजर नहीं आ रही है। ऐसे में परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है। अभी तक बच्ची को 35 से 40 फुट ऊपर ही लिया गया है।दौसा में 6 बच्चे हादसे का शिकार
बता दें कि बांदीकुई के मोराडी गांव में 3 साल की मासूम अंजू बोरवेल में गिरी मगर बचा लिया गया। लालसोट के रायमलपुरा गांव में 2011 में अंकित मीना की मौत, जबकि बिहारीपुरा गांव में 2015 में ढाई साल की ज्योति को बचाया गया। बांदीकुई के जस्सापाडा गांव में 2 साल की अंकिता को बचाया गया। यहीं जोधपुरिया में सितंबर 2024 को ढाई साल की नीरू गुर्जर को बचाया गया। नांगल के कालीखाड गांव में 9 दिसंबर 2024 को 5 वर्षीय आर्यन मीना को नहीं बचाया जा सका।