ऐसे हो रहा फर्जीवाड़ा दरअसल, राजस्थान में ई-रिक्शा एक से सवा लाख रुपए तक पंजीेकृत हो रहा है। लेकिन पड़ोसी राज्यों में ई-रिक्शा 50 हजार रुपए में तैयार हो रहा है। दूसरे राज्यों से ई-रिक्शा लाकर जयपुर में संचालित किए जा रहे हैं। लेकिन इन ई-रिक्शा का पंजीयन नहीं करवाया जा रहा है। एक नंबर को कई ई-रिक्शा में लगाकर संचालित किया जा रहा है।
क्यूआर कोड लगेंगे, होगी छंटनी आरटीओ की ओर से दिसंबर तक दो महीने में क्यूआर कोड जारी करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। ऑनलाइन आवेदन करने वाले चालकों को क्यूआर कोड दिए जाएंगे। इसके लिए डीओआइटी की ओर से एक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया जा रहा है। सॉफ्टवेयर तैयार होने के बाद ई-रिक्शा चालकों से आवेदन करवाएंगे। आवेदन करने वाले चालकों को ही क्यूआर कोड जारी होंगे। एक ई-रिक्शा को एक क्यूआर कोड जारी किया जाएगा। इससे अवैध चले रहे ई-रिक्शा बाहर हो जाएंगे।