बताते चलें कि राजस्थान में नर्सिंग ऑफिसर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, लैब सहायक, रेडियोग्राफर जैसे हजारों कर्मचारी यूटीबी पर काम कर रहे हैं। यह कर्मचारी अस्थायी आधार पर सेवाएं देते हैं लेकिन स्थायित्व और नियमित वेतन की समस्या से जूझ रहे हैं। इससे पहले कई बार सरकार को इनके लिए कोई ठोस नीति बनाने की मांग भी उठ चुकी है।
45 महीने से नहीं मिला वेतन
प्रदर्शनकारी नर्सिंग ऑफिसर्स का कहना है कि उनकी भर्ती 22 मई 2021 को जोधपुर सीएमएचओ के अधीन हुई थी। भर्ती के बाद से उन्होंने ग्रामीण स्तर पर अस्पतालों में अपनी सेवाएं दीं, लेकिन पिछले 45 महीने से वेतन का भुगतान नहीं हुआ। अधिकारियों के आपसी विवाद के चलते मामला कोर्ट तक पहुंचा, जहां से 5 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट ने वेतन देने के आदेश जारी किए थे। इसके बावजूद उनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका, जिससे परेशान होकर उन्होंने यह कदम उठाया। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख तीन मांगें
1. स्थायी स्टाफ की भर्ती के बावजूद यूटीबी कर्मचारियों को उनकी सेवाओं से हटाने पर रोक लगाई जाए। 2. उन्हें राज्य या जिले में रिक्त पड़े पदों पर समायोजित किया जाए।
3. यूटीबी कर्मचारियों के लिए अलग कैडर बनाया जाए ताकि उनकी सेवाएं सुरतक्षित रहें।
नर्सिंग ऑफिसर्स ने मांगी इच्छामृत्यु
प्रदर्शन के दौरान नर्सिंग ऑफिसर्स ने सरकार से इच्छामृत्यु की भी मांग की। उन्होंने कहा कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो उन्हें जीने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं, इस घटना के बाद मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल और प्रशासन के अधिकारी पहुंचे। इस दौरान राजस्थान यूटीबी कार्मिक एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरीश शर्मा भी वहां मौजूद रहे। अधिकारियों ने कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया और प्रमुख सचिव से वार्ता का आश्वासन दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारी नीचे उतरे।