गुजरात के चिकित्सा विभाग ने सभी संक्रमित बच्चों के नमूने राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे को भेज दिए हैं। इससे अब तक जिन चार बच्चों की मौत हुई है, उनमें एक साबरकांठा जिले का था, दो अरावली जिले के थे और एक बच्चा उदयपुर जिले के साबरकांठा का था। राजस्थान में चिकित्सा विभाग ने भी उदयपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सक्रिय निगरानी, सर्वेक्षण, चिकित्सा शिविर और वेक्टर नियंत्रण के निर्देश दिए हैं। साथ ही, प्रभावित व्यक्तियों को समय पर रेफर करने और चांदीपुरा रोग की संभावना को दूर करने के लिए नमूने एसएमएस मेडिकल कॉलेज भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
बुखार, फ्लू जैसे दिखते है बच्चों में लक्षण .. चांदीपुरा वायरल एक दुर्लभ और संभावित रूप से घातक रोगाणु है जो बुखार, फ्लू जैसे लक्षण और तीव्र इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) का कारण बनता है। यह वायरल मच्छरों, टिक्स और सैंडफ्लाई जैसे वाहकों के माध्यम से फैलता है, तथा इससे बीमारी, कोमा और यहां तक कि मृत्यु भी तेजी से हो सकती है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्थानीय समुदाय से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध लक्षण वाले बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाएं और किसी भी तरह की देरी से बचें।
गुजरात के चिकित्सा विभाग ने की चांदीपुरा वायरल की पुष्टि, चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गुजरात के हिम्मतनगर सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञों को 10 जुलाई को चार बच्चों की मौत के बाद इस वायरल की भूमिका पर संदेह हुआ। अस्पताल में भर्ती दो अन्य बच्चों में भी इसी तरह के लक्षण दिखाई दिए, जिससे यह माना जा रहा है कि वे भी चांदीपुरा वायरल से संक्रमित हैं। इनमें मृतकों में से एक बच्चा देरी से अस्पताल पहुंचा था, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। जबकि दूसरा बच्चा ठीक हो रहा है और जल्द ही उसे छुट्टी मिलने की संभावना है। हिम्मतनगर सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि उन्होंने चांदीपुरा वायरल की पहचान की और तुरंत चिकित्सा विभाग को सूचित किया।
डॉक्टरों का कहना, यह एक वायरल संक्रमण.. एसएमएस अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. त्रिलोकचंद श्रीवास्त्व और जेके लोन अस्पताल चाइल्ड स्पेशलिस्ट्स डॉ. कपिल गर्ग का कहना है कि चांदीपुरा एक वायरल संक्रमण है। जो डेंगू, चिकनगुनिया जैसे मच्छर, माइट और सैंड फ्लाई द्वारा फैलता है। यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें उच्च रोगजनकता और मृत्यु दर होती है। इसके लक्षणों में मुख्य रूप से बुखार, उल्टी और दौरे शामिल हैं। यह वायरल ज्यादातर 2 से 12 साल के बच्चों को प्रभावित करता है।