अभी तक 2 हेक्टेयर से छोटी टाउनशिप में इसकी अनिवार्यता नहीं थी। टाउन प्लानर्स के मुताबिक इसका लाभ लेकर ज्यादातर डवलपर 80 प्रतिशत छोटी टाउनशिप सृजित करते रहे हैं। राजस्थान सरकार अब हर क्षेत्रफल की टाउनशिप में यूटिलिटी और फैसेलिटी के लिए एक समान हिस्सा (15%) तय कर रही है, ताकि छोटी टाउनशिप में रहने वालों को भी सभी सुविधाएं मिल सके। नीति में सभी योजनाओं के लिए भूखंड व सुविधा क्षेत्र में अनुपात 60:40 रखा गया है।
टुकड़ों में बनाने रहे टाउनशिप, अब बच नहीं सकेंगे…
छोटी योजनाओं में जनसुविधाओं के लिए भूमि नहीं छोड़ने की छूट के चलते 2 हेक्टेयर तक की योजनाएं अधिक सृजित की जाती रही है। जिन डवलपर के पास दो हेक्टेयर से अधिक भूमि है, वे भी भूमि को टुकड़ों में बांटकर योजनाएं सृजित करते रहे, ताकि जन सुविधाओं के लिए भूमि छोड़ने से बचा जा सके। छोटी योजनाएं आने से शहर के नियोजित विकास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसी कारण नई नीति में कड़े प्रावधान किए जा रहे हैं। अब डवलपर छोटे आकार की योजना लाकर भी जन सुविधाओं के लिए भूमि छोड़ने से बच नहीं सकेंगे। हालांकि, डवलपर इस बदलाव के पक्ष में नहीं है।
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7 प्रतिशत हिस्सा यूटिलिटी: बिजली उप केन्द्र, पेयजल योजना, ठोस कचरा प्रबंधन इकाई, सार्वजनिक शौचालय व अन्य गतिविधि
(सभी तरह की टाउनशिप में एक समान ही कर रहे सुविधा हिस्सा। इससे 10 हेक्टेयर से बड़ी टाउपशिप लाने वालों को पांच प्रतिशत कम छोड़नी होगी सुविधा। क्योंकि, अभी इनके लिए 20 प्रतिशत की है अनिवार्यता)
इस तरह छोड़ा जाएगा 15 प्रतिशत एरिया…
8 प्रतिशत हिस्सा फैसेलिटी: अस्पताल, स्कूल, कयूनिटी सेंटर, पार्क, खेल मैदान व अन्य जन उपयोग गतिविधि7 प्रतिशत हिस्सा यूटिलिटी: बिजली उप केन्द्र, पेयजल योजना, ठोस कचरा प्रबंधन इकाई, सार्वजनिक शौचालय व अन्य गतिविधि
(सभी तरह की टाउनशिप में एक समान ही कर रहे सुविधा हिस्सा। इससे 10 हेक्टेयर से बड़ी टाउपशिप लाने वालों को पांच प्रतिशत कम छोड़नी होगी सुविधा। क्योंकि, अभी इनके लिए 20 प्रतिशत की है अनिवार्यता)
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अभी तक यह है प्रावधान…
- * 2 हेक्टेयर तक- शून्य
- * 2 से ज्यादा और 10 हेक्टेयर तक – 15 प्रतिशत
- * 10 हेक्टेयर से ज्यादा- 20 प्रतिशत