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जयपुर

अब महापौर पद के लिए घमासान, पार्षदों की बगावत की आशंका से परेशान पार्टी

प्रदेश संगठन ने शहर के नेताओं से किया मंथन

जयपुरDec 19, 2018 / 10:51 am

Mridula Sharma

nagar nigam

अब महापौर पद के लिए घमासान, पार्षदों की बगावत की आशंका से परेशान पार्टी

जयपुर. महापौर अशोक लाहोटी के विधायक बनने से भाजपा पार्षदों में महापौर बनने की होड़ और सरकार बनने के बाद उत्साहित कांग्रेस नेताओं का डर अब प्रदेश भाजपा की मुश्किल बन गया है। अपने ही पार्षदों के बागी बन कांग्रेस से मिलने की आशंका के बीच भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने मंगलवार को इस मामले में शहर के बड़े नेताओं से मश्विरा किया। महापौर के लिए योग्य प्रत्याशी चिन्हित करने, पार्षदों के बढ़ते विरोध को लेकर प्रदेश कार्यालय में मंथन हुआ।
सबसे बड़ा डर, चुनाव की नौबत न आ जाए
पार्टी को चिंता है कि बगावती तेवर दिखा रहे कुछ पार्षद कांग्रेस को समर्थन दे सकते हैं। ऐसा हुआ तो न केवल पार्टी की साख खराब होगी, बल्कि कांग्रेस पार्षदों द्वारा कलक्टर के जरिए महापौर का चुनाव कराने की प्रक्रिया कराने की संभावना भी बनेगी। ऐसे में बागी पार्षदों के कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने की आशंका बनी रहेगी। सूत्रों के मुताबिक पार्टी भी इससे बचने का रास्ता तलाश रही है। इसके लिए उपमहापौर को महापौर का चार्ज सौंपा जा सकता है। ऐसा करके इस मामले को लोकसभा चुनाव तक खींचा जा सकता है। हालांकि, पार्षद इसके पक्ष में नहीं दिख रहे।
महापौर को इस्तीफा देने के संकेत..
महापौर और विधायक में से एक पद पर रहने के नियम के बीच मामला उलझा है। सूत्रों के मुताबिक कई धड़ों मेें बंटे पार्षदों को बगावत करने से रोकने के लिए संगठन ने अशोक लाहोटी को महापौर पद से इस्तीफा देने के संकेत दे दिए हैं। हालांकि, आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।
इस तरह बन रहे चुनाव के हालात
– नगर निगम बोर्ड की बैठक हर 3 माह में बुलाने का नियम है। पिछली बोर्ड बैठक हुए तीन माह बीत चुके हैं।
– कांग्रेस सत्ता में है और किसी भी कांग्रेसी पार्षद के जरिए कलक्टर को पत्र भेजा जा सकता है। इसमें बोर्ड बैठक बुलाने का आग्रह किया जाएगा। लेकिन बोर्ड बैठक महापौर के बिना नहीं हो सकती, क्योंकि वह बोर्ड अध्यक्ष हैं। ऐसे में कलक्टर चुनाव कराने के लिए आदेश दे सकते हैं।
– बोर्ड भाजपा का है लेकिन सर्वसम्मति से निर्णय नहीं कराने की स्थिति में चुनाव में कांग्रेस का साथ देने की आशंका बनी रहेगी। इसी का भाजपा को डर है।
ये जता रहे दावेदारी
सूत्रों के मुताबिक उपमहापौर मनोज भारद्वाज के अलावा पार्षद विष्णु लाटा, अनिल शर्मा, भगवत सिंह देवल, मान पंडित दावेदारी जताने में आगे हैं। जबकि, विधायक बने अशोक लाहोटी अपने चेहते को इस सीट पर बैठाना चाह रहे हैं। सभी दावेदार पार्टी के बड़े नेताओं से भी मिल चुके हैं।
पार्षदों का गणित
भाजपा के 64 पार्षद हैं, जबकि कांग्रेस के 18 पार्षद। नौ निर्दलीय हैं और ज्यादातर कांग्रेस के साथ हैं। महापौर चुनने के लिए यदि समर्थन प्रक्रिया की जरूरत पड़ती है तो 46 पार्षद चाहिए। यदि चर्चा बिना महापौर का नाम तय किया जाता है तो कुछ भाजपा पार्षद विरोध में आ सकते हैं।
इधर, पार्षदों की धड़ेबंदी पर गड़ी कांग्रेस की नजर
उधर, जीत से उत्साहित कांग्रेस को उम्मीद है कि भाजपा के बागी उसके पाले में आ सकते हैं। हालांकि संख्या बल के लिहाज से कांग्रेस इस स्थिति में नहीं है कि वह महापौर पद को लेकर कुछ निर्णय कर सके। लेकिन भाजपा पार्षदों में चल रही खेमेबाजी से अब कांग्रेस संगठन की नजरें ऐसे पार्षदों पर हैं, जो उनके पक्ष में निर्णय नहीं होने पर कांग्रेस का साथ दे सकते हैं। कांग्रेस मान रही है कि महापौर लाहोटी से दूरियां रखने वाले पार्षदों की पसंद का महापौर नहीं बनने पर कुछ पार्षद उसके साथ आ सकते हैं।
पूरे घटनाक्रम पर हमारी नजर
महापौर और विधायक दोनों पदों पर एक व्यक्ति नहीं रह सकता। शहर को नया महापौर मिलना तय है। हम पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। सही वक्त पर उचित निर्णय लिया जाएगा।
प्र्रताप सिंह खाचरियावास, शहर जिलाध्यक्ष, जयपुर कांग्रेस

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