‘अनाड़ी पड़ोसन ‘का मंचन आज
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत कला साहित्य संस्कृति और पुरातत्व विभाग, राजस्थान और आगाज दी अमेजिंग रंगमंच ग्रु की ओर से कॉमेडी ड्रामा ‘अनाड़ी पड़ोसन’ का मंचन रवींद्र मंच पर शनिवार को शाम 7 बजे किया जाएगा। ड्रामे का लेखन फिरोज मिर्जा और निर्देशन डॉ.बुलबुल नायक ने किया है । ड्रामा 30 दिनों की नाट्य कार्यशाला के दौरान तैयार किया गया। ड्रामे की कहानी एक ऐसी महिला पर है जो अपने पड़ोसियों पर पैनी नजर रखती है
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत कला साहित्य संस्कृति और पुरातत्व विभाग, राजस्थान और आगाज दी अमेजिंग रंगमंच ग्रु की ओर से कॉमेडी ड्रामा ‘अनाड़ी पड़ोसन’ का मंचन रवींद्र मंच पर शनिवार को शाम 7 बजे किया जाएगा। ड्रामे का लेखन फिरोज मिर्जा और निर्देशन डॉ.बुलबुल नायक ने किया है । ड्रामा 30 दिनों की नाट्य कार्यशाला के दौरान तैयार किया गया। ड्रामे की कहानी एक ऐसी महिला पर है जो अपने पड़ोसियों पर पैनी नजर रखती है
जयपुर। वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के कुलपति आरएल गोदारा के खिलाफ चल रही अनियमितताओं की शिकायत के बीच एक मामला सामने आया है। सेवानिवृत्ति के तीन महीने शेष रहने के बाद भी कुलपति ने विश्वविद्यालय में तबादले कर दिए। इस पर राजभवन ने गंभीर आपत्ति जताई है। इस पर कार्यवाही करते हुए राजभवन ने तबादला सूची को निरस्त कर दिया है। इस संबंध में
कुलपति को पत्र भी भेजा हैं, जिसमें राजभवन की ओर से फरवरी में जारी आदेशों का हवाला भी दिया है। इसमें कहा है कि राज्यपाल ने निर्देश दे रखे हैं कि सेवानिवृत्ति के तीन महीने शेष रहने की अवधि में कुलपति नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे। इसके अलावा अन्य प्रकरण में राजभवन ने कुलपति की ओर से गठित एक जांच कमेटी को भी निरस्त किया है।
मामले के अनुसार डॉ पतंजलि मिश्र का वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा में 2015 नियमितिकरण हुआ। इसकी जांच विश्वविद्यालय की ओर से शुरू की गई। इसके लिए एक कमेटी का गठन भी किया। इस संबंध में राजभवन ने कहा है कि डॉ मिश्र ने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में कार्यभार ग्रहण कर लिया है। ऐसे में डॉ मिश्र के विरूद्ध किसी भी प्रकार की जांच कराए जाने का औचित्य नहीं है।
गौरतलब है कि कुलपति आरएल गोदारा एक फर्म को नियम विरूद्ध फायदा पहुंचाने के मामले भी दोषी पाए गए थे। इस पर राजभवन ने गृह विभाग को एसीबी से जांच कराने के लिए पत्र लिखा था।
कुलपति को पत्र भी भेजा हैं, जिसमें राजभवन की ओर से फरवरी में जारी आदेशों का हवाला भी दिया है। इसमें कहा है कि राज्यपाल ने निर्देश दे रखे हैं कि सेवानिवृत्ति के तीन महीने शेष रहने की अवधि में कुलपति नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे। इसके अलावा अन्य प्रकरण में राजभवन ने कुलपति की ओर से गठित एक जांच कमेटी को भी निरस्त किया है।
मामले के अनुसार डॉ पतंजलि मिश्र का वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा में 2015 नियमितिकरण हुआ। इसकी जांच विश्वविद्यालय की ओर से शुरू की गई। इसके लिए एक कमेटी का गठन भी किया। इस संबंध में राजभवन ने कहा है कि डॉ मिश्र ने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में कार्यभार ग्रहण कर लिया है। ऐसे में डॉ मिश्र के विरूद्ध किसी भी प्रकार की जांच कराए जाने का औचित्य नहीं है।
गौरतलब है कि कुलपति आरएल गोदारा एक फर्म को नियम विरूद्ध फायदा पहुंचाने के मामले भी दोषी पाए गए थे। इस पर राजभवन ने गृह विभाग को एसीबी से जांच कराने के लिए पत्र लिखा था।