जयपुर

Emotional : त्योहार पर हमेशा के लिए अकेली रह गई ख्वाहिश, नौ महीने की बेटी ख्वाहिश को दिवाली पर हमेशा के लिए छोड़ गए शहीद पिता

पिता ने ही उसका नाम ख्वाहिश रखा था। उनका कहना था कि ईश्वर ने बेटी देकर हर इच्छा पूरी कर दी। लेकिन अब वे हमारे बीच नहीं हैं। मासूम को अब तक इसका भान नहीं है।

जयपुरOct 25, 2022 / 10:31 am

JAYANT SHARMA

जयपुर
अरुणाचल प्रदेश में पिछले सप्ताह शुक्रवार को सेना के हेलीकॉप्ट्रर क्रैश में अपने पिता को खोने वाली सिर्फ नौ महीने की मासूम बेटी को नहीं पता कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। सोमवार को ही उसने अपने अंकल की गोद से अपने पिता को मुखाग्नि दी है। पिता मेजर विकास कुमार क्रैश में शहीद होने वाले पांच अफसरों में से एक थे। परिवार का लाड़ला मेजर विकास सबसे रुला गया और उससे भी ज्यादा रूलाने वाली तस्वीर जब सामने आई तब मासूम बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। हनुमानगढ़ जिले के संगरिया के रहने वाले विकास कुमार को सोमवार का सैन्य सम्मान के साथ उनके गांव में अतिंम विदाई दी गई।
बेटी का नाम ख्वाहिश रखा था मेजर ने, बोले थे अब मेरी हर इच्छा पूरी हो गई
शहीद मेजर विकास की पार्थिव देह दोपहर 1 बजे के उनके पैतृक गांव रामपुरिया पहुंची थी। जहां गांव के एक सरकारी स्कूल में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद को श्रद्धांजलि देने आसपास के गांवों से सैकड़ों की संख्या में लोग उमड़े। वहीं इससे पहले शहीद की पार्थिव देह को सुबह सूरतगढ़ के मिलिट्री स्टेशन से पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया था ।
जहां रास्ते में लोगों ने अंतिम यात्रा पर फूल बरसाए और नम आंखों से शहीद को विदाई दी। इस दौरान मानकसर और चेतक चौराहे पर शहीद मेजर विकास भांभू के अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े और श्रद्धांजलि दी। परिवार के लोगों ने बताया कि विकास को बेटी से बहुत स्नेह था। वह बात नहीं कर सकती थी लेकिन वीडियो कॉल पर पिता को देखकर खुश होती थी। पिता ने ही उसका नाम ख्वाहिश रखा था। उनका कहना था कि ईश्वर ने बेटी देकर हर इच्छा पूरी कर दी। लेकिन अब वे हमारे बीच नहीं हैं। मासूम को अब तक इसका भान नहीं है।

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