किसानों ने साफतौर पर कहा कि जेडीए को हम जमीन नहीं देंगे। यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक कि जेडीए भूमि की निरस्त नहीं कर देती। गौरतलब है कि किसानों के विरोध के चलते जेडीए की नींदड़ आवासीय योजना 1350 बीघा भूमि पर है। इसमें से 110 बीघा मंदिरमाफी की भूमि की अवाप्ति 2010 में की जा चुकी है। जबकि निजी भूमि का 2013 में अवार्ड जारी कर मुआवजा राशि कोर्ट में जमा करवाई गई थी। इस जमीन पर खेती की जा रही थी। किसानों के विरोध चलते जेडीए जमीन का कब्जा नहीं ले पा रहा है।
सात दिन से चल रहा है धरना किसान जमीनों की अवाप्ति निरस्त करने की मांग को लेकर नींदड़ बचाओ युवा संघर्ष समिति के अध्यक्ष नगेन्द्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में सात दिन से धरने पर बैठे हुए हैं। जेडीए द्वारा अवाप्तशुदा जमीन का मुआवजा कोर्ट में जमा कराने के बावजूद जेडीए किसानों से जमीन नहीं ले पा रहा है। किसानों ने यहां जेडीए की ओर से किए जा रहे सड़क निर्माण को रुकवा रखा है।