अशोक स्तंभ की प्रतिकृति की डिजाइन टाटा ने तैयार की है तथा बनाने से लेकर स्थापित करने का काम लक्ष्मण व्यास की निगरानी में हुआ। इसके कुल 150 हिस्से थे, जिन्हें ट्रक से दिल्ली ले जाया गया। वहां गैस वेल्डिंग और आर्गन तकनीक से इन हिस्सों को जोड़ा गया।
श्रमिकों ने तेज धूप में नए संसद भवन की छत पर काम किया। कई लोगों की तबीयत भी खराब हुई लेकिन काम को जल्दी से पूरा करने के जुनून से यह सब संभव हुआ। इस स्तंभ की खासियत यह है कि इस पर किसी भी मौसम का असर नहीं पड़ेगा। इस पर कभी जंग भी नहीं लगेगा। लक्ष्मण ने दावा किया कि आकार के लिहाज से यह देश का सबसे बड़ा स्तंभ है।
नोहर निवासी लक्ष्मण व्यास राजस्थान विश्वविद्यालय से मूर्तिकला में डिग्री करने के बाद देश-विदेश में 300 प्रतिमाओं का निर्माण कर चुके हैं। इनमें उदयपुर में 57 फीट के महाराणा प्रताप, दिल्ली एयरपोर्ट पर हाथी की प्रतिमाएं, बाघा बॉर्डर पर श्याम सिंह अटारी, जवाहरलाल नेहरू, प. दीनदयाल उपाध्याय, इंदिरा गांधी समेत अनेक महापुरुषों की प्रतिमाएं शामिल हैं। दुबई और कतर में भी व्यास की बनाई प्रतिमाएं लगी हैं। विशेषकर एमएफ हुसैन इंटरनेशनल म्यूजियम में भी इनकी बनाई प्रतिमाएं लगी हैं।
व्यास – 38 फीट चौड़ाई -12 गुणा 12 मीटर
वजन- 9 टन 620 किलो सामग्री – 90% तांबा 10% टिन
शैली- इटालियन लॉस्ट वैक्स