सवाल : क्या एक्ट के प्रति राज्य सरकार गंभीर नहीं है? यदि है, तो इसे अब तक अटका क्यों रखा है? जवाब : सरकार एक्ट को जल्दबाजी में लागू नहीं करना चाहती। जुर्माने में संशोधन किए हैं लेकिन हम देख रहे हैं कि देशभर में एक्ट का विरोध हो रहा है। हम चाहते हैं कि जनहित को ध्यान रख ही इसे लागू करें।
सवाल : संशोधन हो चुका है तो लागू क्यों नहीं किया जा रहा? जवाब : सबसे पहले मैं ही इसके विरोध में खड़ा हुआ, फिर लागू करने में जल्दबाजी क्यों करें? हो सकता है आने वाले चार-पांच दिन में ही इसे लागू कर दें लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात इसे नकार चुके हैं। देश में एक-दो जगह ही लागू हुआ है। केन्द्रीय परिवहन मंत्री अपने ही राज्य महाराष्ट्र में इसे लागू नहीं करा पाए।
सवाल : निकाय चुनाव तो कारण नहीं है? जवाब : नहीं, आचार संहिता में अभी समय है। सम्भव है, उससे पहले लागू कर दें। सवाल : एक्ट के कारण जनता जागरूक हो रही है, जुर्माने कम हुए हैं, लाइसेंस बनवाने वाले बढ़ गए हैं लेकिन एक्ट लागू नहीं होने से भ्रम की स्थिति है?
जवाब : एक्ट को लेकर जनता जागरूक नहीं है। जयपुर में सड़क हादसों को देखते हुए पुलिस ने सख्ती की, लाइसेंस निरस्त हो रहे हैं इसलिए भय के कारण जनता जागरूक हुई है। यह एक्ट का असर नहीं है। खुद भाजपा के नेता भी एक्ट के समर्थन में खड़े नहीं हो रहे हैं।
सवाल : सरकार एक्ट के पक्ष में है या लागू करने की मजबूरी है? जवाब : न तो पक्ष में है और न मजबूरी है। एक्ट तो पहले से लागू है। पुराने एक्ट में संशोधन कर फिर से लागू किया है। जनता जुर्माना तो अभी भी दे रही है लेकिन जुर्माना इतना न हो कि गरीबों पर भार पड़े। एक्ट में एक भी जगह हाइवे टोल कंपनियों पर जुर्माना नहीं लगाया गया है।