नया जिला बनाने में कितना खर्च आता है
जब भी किसी नए जिले को बनाने की घोषणा की जाती है तो वहां इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का बड़ा कार्य होता है। इनमें प्रशासनिक भवन जैसे- जिला मुख्यालय, जिला न्यायालय, कृषि, शिक्षा, जिला परिषद, स्वास्थ्य विभाग आदि के संचालन के लिए भवन। इन जिलों के पास बड़ी बैठकें करने के लिए हॉल और भवन। यहां कार्य करने के लिए स्टाफ व प्रशानिक अधिकारियों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा मुख्यालय के विकास के लिए सड़क निर्माण से लेकर अन्य सुविधाएं मुहैया कराना व जिला मुख्यालय से तहसीलों को सड़क मार्ग से जोड़ने व पानी की समुचित व्यवस्था करने, सफाई आदि का खाका खींचने जैसी आवश्यकता होती है। इन सबके लिए सरकार को सरकारी खजाने से भारी धनराशि निवेश करने की जरूरत होती है। राजस्थान सरकार के जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि एक जिले को बनाने में करीब 2000 करोड़ रुपए का खर्चा आता है। इनमें सरकारी भवनों के निर्माण पर ही करीब एक जिले में 500 करोड़ रुपए तक खर्च आने की संभावनाएं है।
नए जिले बनाने के क्या मापदंड होते हैं
समय-समय पर राज्य जरूरत के हिसाब से नए जिले बनाते रहे हैं। जिलों के गठन से केंद्र का कोई लेना-देना नहीं होता। राज्य खुद ही इसका फैसला करता है। इसमें जिलों को बढ़ाना, उन्हें बदलना, किसी का दर्जा खत्म करना आदि शामिल है। इसके लिए राज्य के राजस्व विभाग की ओर से एक समिति बनाई जाती है, जो सिफारिशें करती है और उसके बाद सरकार उस पर अपनी मंजूरी देती है। जिला बनाने का मुख्य मापदंड जनसंख्या और उसके क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। आम तौर पर एक जिले की जनसंख्या 10 लाख के आसपास होती है। इसके अलावा मौजूदा जिला मुख्यालय से इसकी दूरी कम से कम 50 किलोमीटर होनी चाहिए और जिले में कम से कम तीन से चार तहसील और उपखंड मुख्यालय होने चाहिए।