बात करें इस साल के ऑटो उद्योग के गुणवत्ता अध्ययन की तो यह 93 शिकायतें प्रति 100 वाहनों की दर से बहुत खराब रहा है। इतना ही नहीं इसमें साल 2014 के बाद जीरो सुधार हुआ है। बीते 12 महीनों में ऑटो उद्योग के ज्यादातर ब्रांड इन समस्याओं को सुधारने की बजाय और पिछड़ते चले गए। वहीं 18 ब्रांड़ जहां इस समस्याओं से निपटने में बुरी तरह फेल रहे वहीं 13 ब्रांड्स में यह समस्या और बढ़ गई। फर्म ने कहा कि इनमें ब्रेक और सस्पेंशन का शोर, इंजन स्टार्ट नहीं होना, त्वरित ‘चेक इंजन’ संकेत और वाहन को पेंट करने की खामियां भी शामिल हैं।